अहिंसा की सही समझ | Ahinsa Ki Sahi Samajh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अहिंसा की सही समझ  - Ahinsa Ki Sahi Samajh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मुनि श्री नाधमलजी - muni shri nadhlam jii

Add Infomation Aboutmuni shri nadhlam jii

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[ ११ माना जाता था । मनुष्यके लिये दूसरे जीवोंकी हिंसाको निर्दोष ` या , धर्म साना जाये--यह भी एक॑ प्रकारका सामन्तवादौ दृष्टिकोण ই सामन्तवादका अथ >है--अधिकारबाद। जहाँ व्यक्तिको अधिकारकी तराजूमें सत्ता और- शक्तिके बाटोंसे तोला ,जाता है वहाँ :अहिसा, नहीं आती। विकासकी मात्रा मनुष्यकी अपेक्षा मनुष्योतर प्राणियोंमें कम है वैसे ही एक मनुष्यकी अपेक्षा दूसरे मनुष्यमे भी वह कम हो सकती है। बहु-विकसित मनुष्यके लिये अल्प-विकसित मनुष्यकी वलि देने का प्रसंग आ सकता दै किन्तु इसके .मूल्याँकनके '/दृष्टिकोणको सामांजिक अपेक्षासे आगे तक नहीं -ले जाना चाहिये। उसकी कतेव्यता पर . अहिंसाकी छाप खगानेका प्रयत्न नहीं होना चाहिये, चर्ण-भेदके आधार पर अफ्रीकाके गोरे कालों पर मनमानी कर रहे है। जातिबादके आधार पर दास-प्रथा चछती थी, अंस्वश्यता आज भी चल रही है । इन घुराइयोंके अद्भुर मनुष्य को आवश्यकतासे,अध्िक महत्व देनेकी बृत्तिमे से फूट निकलते हैं। फ्रॉसके सुप्रसिद्ध प्राणी तत्ववेत्ता जॉन रोस्टेण्डके हाथसे सत्तर हजार मेंढक प्रति वर्ष निकलते है। यह हिंसा सानव- जीवनके गुप्त रहस्थोंको जाननेके लिये होती है। बड़ोके लिये छोटोकी हिंसा अनिवार्य हो सकती है किन्तु उसका अहिंसा धर्मक रूपमें समर्थन करनेसे हिसाको प्रोत्साहन मिलता है, इस पर गहराई से विचार करना चाहिये।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now