मुहूर्त मार्तण्ड | Muhurta Martanda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.56 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रकरणमू ६ ) घरभाग्यपण्याग्यासदित 1
अद्शननन्नम ; चराटायुध चन्यमाणप , ढु लग टुसुह्तप ; पूचेभवस्थ
प्रथमगभात्पल्रस्य उपप्रमासमू, पापयुगितयक्षाणि ( पापेन
युक युत, इत गत, ग्गय भाग्य अपधिममिति नीणि ननत्राणि ) विद्ध
विद्धननत्रम , ऊनारयाधिकमासकों संयम
णटातिपु नव ज्नगएटा तिगणडेपु युतिपु योगेपु'क्रमेण
त्यद्माथाद्रसतुप्रचघटिका ( तिस्र व्याघाते5द्ठा: ९, यूलेड्था
५. चल ५, गर्ट रसा ८, अतिगर्डे ऋतवः ६ इति आदिम
नाटिका ), भाना ननक्नत्राणा विपास्या घटी श्र 'युभे सन्त्यजेतू ॥ ३॥।
शान दी०-जन्ममास जन्मतिथि, जन्मनक्षत्र आदि, प्रहण-नक्षत्र,
चण्टायुघध, दुष्ट मुहूर्त, प्रथम गर्भाप्पन्न सन्तान के लिये ज्येट्मास, पाप श्रहसे
युक्त भोर उससे पीड़े तथा भागे के एक एक नक्षत्र, विद्ध नक्षत्र, क्षयमास,
मल्मास, तथा चिप्कम्भ-व्याघात-याल-वज्ध-गण्ड अतिगण्ड इन योगों की
क्रमसे दे, ९, ; ९, ६, ६ जादि घटी मोर भद्विन्यादि नक्षध्ों थी विपघरी
ये शुभ कार्य में त्याग करना चाहिये ॥ ३ 11
विशेष --चण्टायुघ भर चिपघटी भादि भागे कहेंगे। क्षयमास और
नधिमास का लक्षण--
*द्रसक्तान्तिमासोबधघिमास स्फुट स्यादू
द्विसक्रान्तिमास क्यारय कदाचित् ।
झय कार्तिकादिघये नान्यत स्यात्
तदा ॥”'
झर्थ--जिस चान्द् मास ( दो अमावास्या के भीतर ) में सक्कान्ति न हो
चह भधिमास, तथा जिस चान्द्रमास के भीतर दो सक्रान्ति हो वह क्षयमास
कहलाता है । क्षयमास ( वर्तमान मन्दोद्य के हिसाब से ) कार्तिकादि तीन ही
महीने मे ता दह भी कभी सयोगयदय होता है तो उस यप॑ ठो भधिमास
जवदय होते है ॥ ३ ॥
चन्द्र दशारि एक
जन्मेशेज्यसितास्तमज्नशशिनोः क्रूरोद मां क्तेरीसू । *
रिए्ं गोचरसंभर ग्रहजनिपांतोद्ू भर सतकं
दुश्चिहानि मनोविभडमपि च व्याधि शुभे संत्यजेत् ॥ ४॥।
कि
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