किनू ग्वाले की गली | Kinu Gwale Ki Gali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about संतोष कुमार घोष - Santosh Kumar Ghosh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मुहाने पर उतारते ही बस का काम खत्म, उसके भी बाद प्रायः दस मिनट चलने
पर किनू ग्वाले की गली ।
पहले पड़ती है महेश एड्डी स्ट्रीट, कमोबेश चहल-पहल । कैमिस्ट है, ड्रगिस्ट
है। है हरेक किस्म का एक डिपार्टमेंट-स्टोर्स । स्टीम लाड़ी, जिसका नाम सर्व-
शुवला ।
और आगे हरिमोहन मुखर्जी रोड के मोड़ पर स्कूल । इस स्कूल वाली इमारत
बस थोडो-सो पुरानी भर है। फाटक के ऊपर अधंचंद्राकार काठ की दफ्ती पर
লাম হয়, एम. एच. ई. स्कूल | पढने वाले और भुहल्ले वाले लोग जानते हैं, एस.
एम. का मतलब होता है सुरवाला मेमोरियल । नाम के नीचे प्रस्थापना वर्ष का
भी उत्लेख था, जो वक्त ओर बारिश से घुल गया ।
हरिमोहन मुजर्जी स्ट्रीट के चौरस्ते के बाद से शुरू होती है गंगाराम बराक
स्ट्रीट । ॥
गूगे-गुगे चेहरे वाले मकान} छोटी-छोटो आंख जैप्ती कोटरवाली खिड़किया
और झड़ते पलस्तर वाले मुंह वयि से गलियारे । स्टूल पड़ रेस्तरी का सदात्नत, खड़े
धाटका धोबी खाना, उसके वाद, क्या आश्चयं उसके बाद एक पराकं । भरी घाप,
टूटी रेक्लिग, लमभग कटा दो जमीन, फिर भी पाकर । हह सोहा-लक्कड़ के वीच
जरा-सौ आवसीजन का आश्वासन ।
ओर भी थोड़ा आगे आकर दो-तीन मोड़ घूम् के किनू ग्वाले की गली | एक _
साथ चार शरीर घुर्ते कि न घुसे ऐसी गली 1
इस गली ने मोटर का चेहरा नहीं देखा है, ट्राम बस की हल्की घर-घर भी
पार्क तक आकर थम जाती है, छकड़ा गाड़ी तक अदर नहीं जाना चाहिए। कभी-
कभार एकाध रिया जातो है, जाते हो भागने-भागने को तैयार। साइकिल
अवश्य चनती है, वज्यप्तमुत्को गे मणि के सृते की तरह उनकी गति अवाध )
न
User Reviews
No Reviews | Add Yours...