किनू ग्वाले की गली | Kinu Gwale Ki Gali

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Kinu Gwale Ki Gali by संतोष कुमार घोष - Santosh Kumar Ghosh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुहाने पर उतारते ही बस का काम खत्म, उसके भी बाद प्रायः दस मिनट चलने पर किनू ग्वाले की गली । पहले पड़ती है महेश एड्डी स्ट्रीट, कमोबेश चहल-पहल । कैमिस्ट है, ड्रगिस्ट है। है हरेक किस्म का एक डिपार्टमेंट-स्टोर्स । स्टीम लाड़ी, जिसका नाम सर्व- शुवला । और आगे हरिमोहन मुखर्जी रोड के मोड़ पर स्कूल । इस स्कूल वाली इमारत बस थोडो-सो पुरानी भर है। फाटक के ऊपर अधंचंद्राकार काठ की दफ्ती पर লাম হয়, एम. एच. ई. स्कूल | पढने वाले और भुहल्ले वाले लोग जानते हैं, एस. एम. का मतलब होता है सुरवाला मेमोरियल । नाम के नीचे प्रस्थापना वर्ष का भी उत्लेख था, जो वक्त ओर बारिश से घुल गया । हरिमोहन मुजर्जी स्ट्रीट के चौरस्ते के बाद से शुरू होती है गंगाराम बराक स्ट्रीट । ॥ गूगे-गुगे चेहरे वाले मकान} छोटी-छोटो आंख जैप्ती कोटरवाली खिड़किया और झड़ते पलस्तर वाले मुंह वयि से गलियारे । स्टूल पड़ रेस्तरी का सदात्नत, खड़े धाटका धोबी खाना, उसके वाद, क्या आश्चयं उसके बाद एक पराकं । भरी घाप, टूटी रेक्लिग, लमभग कटा दो जमीन, फिर भी पाकर । हह सोहा-लक्कड़ के वीच जरा-सौ आवसीजन का आश्वासन । ओर भी थोड़ा आगे आकर दो-तीन मोड़ घूम्‌ के किनू ग्वाले की गली | एक _ साथ चार शरीर घुर्ते कि न घुसे ऐसी गली 1 इस गली ने मोटर का चेहरा नहीं देखा है, ट्राम बस की हल्की घर-घर भी पार्क तक आकर थम जाती है, छकड़ा गाड़ी तक अदर नहीं जाना चाहिए। कभी- कभार एकाध रिया जातो है, जाते हो भागने-भागने को तैयार। साइकिल अवश्य चनती है, वज्यप्तमुत्को गे मणि के सृते की तरह उनकी गति अवाध ) न




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