छिपाने को छिपा जाता | Chhipane Ko Chhipa Jata
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
729 KB
कुल पष्ठ :
56
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छिपाने को छिपा जाता / 17
की कमअक्ली ही कहूंगा कि वे केवल शारीरिक पिटाई को पिठाई मानते
हूँ। 'बडे बेआवरू होकर तेरे कचे से हम निकले” लिखने वाला शायर
भला पिदा कैसे नही ? बड़े-बड़े लोग पिटते रहते हैं । मैं तो किस खेत की
मूली हूं। अमेरिका के तो कितने ही राष्ट्रपतियों को जान से मार डाला
मया है 1 क्या उनका अपमान नही हुआ ? हुआ, मगर वे अपमान की पीडा
भोगने से बच गये और लोगों कौ नजरों मे मै पीडा भोग रहा हूं । क्यो न
भोगू ? आखिर सच बोलता हूं। सच बोलने वाले को कष्ट झेलना ही
पडता है । सत्य के कारण राजा हरिश्चन्द्र को क्या नही सहन करना पडा ?
ईसा को सलीद पर लटका दिया गया । सुकरात को जहर पीना पडा।
बुद्ध को मारने की क्या कम चेष्टाए हुईं ? गाधीजी को गोली मार दी गयी।
इन सभी का अपराध सत्य-पालन ही था । फिर मैं पिरट गया तो कौन बडी
वात हो गयी ।
कोई भी नही मानता कि मेरा पिठना कोई बड़ी बात हो गयी । आम
लोगों की सहानुभूति मेरे साथ है। यो वे भी 'पिटना! रोजमर्रा की चीज
मानते है लेकिन दुःख तो इस बात का है कि मुझ-जैसा भला आदमी” पिट
गया । इससे अधिक लोकमत कर भी क्या सकता है । पुलिस मे इत्तिला
देने गया और पुलिस वालो से निवेदन किया कि मुझे पीटने वालों को सजा
दो 1 पुलिस का मत है क्ति कोई लास मुकदमा तो वनता नही । मार-पिटाई
मामूली दफाओं में आती है। पुलिस दफाओं से विवश है! मैं सबक
सीखता हूं । आगे कभी पिथने का मौका मिला तो पीटने वालो से साफ कह
दूगा--कम्बख्तों, ऐसी दफा के लायक पीटना कि पुलिस तुम लोगो के
विनाफ कुठ कर सङ्घे ।
इस घटना पर मेरे प्रति सबसे अधिक सहानुभूति मेरे साथी शिक्षको
की है। वे लोग मेरी पिटाई को सारे स्टाफ की पिटाई मान रदे ह । कितने
ऊँचे विचार हैं उन लोगों के। उन्होंने पूरे आक्रोश के साथ स्टाफ मीर्टिग
की है। मुझे पीटने वाले छात्रों के खिलाफ कठोर कदम उठाने का प्रस्ताव
सव सम्मति से पारित किया है कि दोषी छात्रो को (सादर) टी० सी०
देकर कलिज से विदा केर दिया जाए ताकि वे अन्यत्र प्रवेश ले सके भौर
पिटाई का क्यंक्रम जारी रव सके ! फिलहात इन छात्रों से न मुझे कोई
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