माली | Maali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रकाशक के दो शब्द मचा बन मची माली डाक्टर श्री रवीन्द्रनाथ ठाकुर की विश्व-विख्यात पुस्तक ए&प606 का हिन्दी-झनुवाद हू | 0870टा167 के मूल गौतों का अनुवाद स्वयं ठाकुर महोदय ने बँगला से अंगरेजी में किया है । उस अनुवाद को गद्य न कहकर गद्य-काव्य कहना अधिक उचित होगा | ठाकुर महोदय की इस ढन्न की पुस्तकों के अच्छे हिंदी- अनुवाद बहुत कम प्रकाशित हुए है । जो इने-गिने हैं भी वे ऐसे नहीं कि उनको सफल श्रनुवाद कहां जा सके | साथ ही साथ गद्य-काव्य-ग्रन्थो की संख्या हिन्दी में नहीं के बराबर हे । साहित्य के इस सुन्दर अज्ञ की कमी हिन्दी में बहुत खटकती है । इसी कमी को दूर करने नही इृष्टि से हम प्रस्तुत पुस्तक को लेकर आपकी सेवा में उपस्थित हो रहे है । आशा है इससे का्ीन्द




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