विचक्षण - वचनामृत | Vichakshan - Vachanamrit
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भँवरीबाई रामपुरिया - Bhanvaribai Rampuriya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(৮ ণ্যযয7 নহামল্যাযা তলোটাতেহাযাযাতাঘি হাতিটি
स्व-स्प चिन्तन
बीतराग भगवत को पकडकर ही हम वीतराग
चन सकंगे । चितेरा (चित्रकार) चित्र तैयार
करताह । कंसे करता ह ? লিল को लेकर, सामने
रखकर वरावर निरीक्षण करके ही वह उसे
बनाता हैं । हम भी वीतराग में रही हुई शक्तियों
का, वीतराग कैसे वने इस मागं का, वीत-
राणत्व के विकास का, वीतराग अवस्था क स्वरूप
के चिन्तन का, वीतराग मुद्रा का तथा वीतराग
की वाणी का आलम्बन लेकर वीतराग वेगे । जिन
भावो का चितन वीतराग ने “वीतराग” वनने
को लिये किया, उन्हीं भावों का चिन्तन, मनन दम
भी करेंगे ।
ऊँसी रहो भावना जाफी
निमित्त सव कं लिए समान कासे करता हैं,
किन्तु फल की प्राप्ति अपने-अपने भावों के अनुमार
होती है। भगवान् अथवा सद॒गुर सव के लिए समान
निमित्त ह, हजार व्यक्ति वन््दन-नमत बरने को
आते है, उनमें फल की उपलब्धि सव को अपने-
अपने भाव के अनुसार ही मिलतो है, क्योंकि भाव
सवके स्वाधीन है 1
बयनामुत
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