देखें करें और सीखें | Dekhen Karen Aur Sikhen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
287
श्रेणी :
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दलजीत गुप्ता - Daljeet Gupta
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मंजू जैन - Manju Jain
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स्वर्णा गुप्ता - Swarna Gupta
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)6 देखें, करें और सीखें
आँख : दादा, मैं बताऊं ?
दादा : हॉँ-हाँ, तुम ही शुरू करो।
आँख : दादा मैं बहुत काम की चीज हूँ। मनुष्य मेरी सहायता से हर चीज़ को
देखकर पहचानता है। सुंदर चीज़ों को
देखकर खुश होता है। इतना ही नहीं, दुखी
होने पर आँसू भी बहाता है। इससे उसका
दुख कम हो जाता है।
जानते हो, मैं तो बोल भी सकती हूँ।
दादा ने पूछा : वह कैसे ? |
दिए गए मेरे ये तीन रूपों को देखो और. - আঁ
अपने आप समझो । <
अरे, इशारे से तो मे कितनी ही बातें कह
देती हू | # का
मै जब अपनी पलक बंद कर लेती हूँ तो क. कः
मनुष्य आराम महसूस करता है।
आँख की बातें सुनकर नाक को जोश आया।
वह बोल पड़ी : हॉ-हाँ, मैं जानती हूँ तुम बहुत काम की चीज़ हो। पर
बहन, मैं भी, जो तुम्हारी पड़ोसन हूँ, तुम
. से किसी बात में कम नहीं हूँ।
` दादा : वह कैसे?
नाक : दादा, भ तो बहत ही जरूरी हैं|
मेरे द्वारा ही ता मनुष्य साँस
लेता है। बिना साँस लिए লী
वह जीवित ही नहीं रह सकता।
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