गांधी युगीन हिंदी गद्य साहित्य में कु६ प्रतिनिधि लेखको के सन्दर्भ में राष्ट्रीय चेतना की अभिव्यक्ति | Gadhi Yugin Hindi Gadhya Sahitya Mein Kuchh Pratinidhi Lekhkon Ke sandarbh Mein Rashtriya Chetna Ki Abhivyakti

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Gadhi Yugin Hindi Gadhya Sahitya Mein Kuchh Pratinidhi Lekhkon Ke sandarbh Mein Rashtriya Chetna Ki Abhivyakti by उमाकांत तिवारी - Umakant Tiwari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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होता है 1? इसी भावना के आधार पर क्ती राष्ट्र के सदत्य रुत्ता के तत्रमं बधते है । यह एकता জাতি एवं धर्म, आषा एव संस्कति ओर परम्पराओं आदि की एकता के आधार पर अधिक बल पकड़ती है। भारत में राष्ट्रीय आन्दे।लन की आभिर्व्याक्‍क्त इसी सम्ृह उतना > उदाहरणं त्वसूप ली जा सकती है | ध ^ राष्ट्रीयता के निर्धारण में अनेक तत्वों का महत्व होता है जिनमें पार्क एकता, आगो-लिक एकता, अश्कि हितों की एकता, भायागत एकता, पेस्काीति तथा परम्पराओं की एकता, जातीय एकता तथा वाह्यय एवं आन्तरिक परिस्थितियों के विछ्ध असन्‍्तोष की भावना के स्थात प्रमुख है। इन्ही तत्वों को राष्ट्रीय भावना के उद्भव और विकास का ज़्त्रोत माना जा सकता है। 1. पव इतिहास पर पाँद हम दृष्ठिट डालें तो यही पार्यग कि जहाँ ह्हीं भी क्ान्तियाँ हुई या राष्ट्रीय आन्दोलन हुए चहाँ उपर्युक्त तत्वों का प्रभाव क्ती न किसी रूप में रहा है । प्रत्यकं आन्दोलन की कसौटी उसकी एकता और संगठन के तत्व में आंकी जाती है, यहाँ पर ए0 सी0 मजमदार के कथन का उल्ल्ख किया जा सकता है कि राष्ट्र पैदा नहीं होते वरन्‌ बनाये जाते है और व्याततः जीवन की भाँति ही राष्ट्रीध जीवन के सर्वोत्तम विकास ठी प्राप्ति तंगाठित प्रप डी एक धीमी तथा परिश्रमशील प्रक्रिया' द्वारा होती ˆ 112 अतः খর পারার অ৪াহযারত ররর, মার আরও ৭৯৮. পারাররাঞ্পাারার, আর পাহারা পরার দারা কলার এ রাহা রাহ পরার হর कायाय রা হারার্ঞাতারারারারোর ভারা, হার: ধারার ऋधाकााद्माभनाका-पवााा सोया গাধার হারার গার বারা বারি টি একক হট গাল ওত বহি উড টাউন 15- फ्रेडारिक हर्दूज - पर्वॉल्लिबित,चृ०3




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