अष्टाचार्य एक झलक | Astha Chariya Ek Jhalak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
117
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६ )
इसी पावन पथ के पथिक ने अध्यात्म जगत् के क्षितिज पर
जीवन निर्माण की नूतन चेतना का सूत्रपात किया जिसे आप-
हम क्रान्ति” शब्द से जानते-पहचानते है । किन्तु “क्रान्ति! शब्द
में थी वह सब नही है जिसे कुछ इलोको द्वारा उद्घाटित करते
का सफल सत् प्रयास किया गया है |
क्रान्ति जब सधर्ष से जुड़ती है तो वह विकराल राक्षसी रूप
धारण कर विप्लवकारी भावनाओं को उभार कर मानव -समुदाय
को विना के गत॑ मे गिरा देती है । ऐसी क्रान्ति क्षणभंगुर
प्रकाग प्रवाही होती है । उसमे स्थायी प्रकाग-प्रवाह कहाँ और
कसे ? अर्थात् असंभव ही है ।
प्रस्तुत परम्परा के आद्य सवाहक स्व० क्रियोद्धारक आचार्य -
प्रवर श्री हुक्मीचन्दजी म॒० सा» ने कभी यह कल्पना भी न को
धी, कि वे किसी गच्छ विशेष की स्थापना के उद्दे श्य से किसी
प्रवृत्ति विधेष को अपनी उच्चता का माप दण्ड बनाकर अपना
रहे है अथवा किसी वर्ग विशेष को अपने से निम्न स्तरीय सिद्ध
करने का प्रयास कर रहे है । उनके जीवन की ग्रात्मलक्षी सहज
प्रक्रिया के रूप में विशुद्ध निग्न॑ न््थ परग्परा का पवित्र प्रवाह प्रवह-
मान हो उठा । वस्तुनः: इस परम्परा का उद्भव 'घुणाक्षर न्याय
दे; प्रनुस।र सहज एवं सात्तिविक ढग से हुआ ' जिसमे कृत्रिमता
एवं बिलप्टता को कतई अवकाश नही था । कल्पनातीत ढग से
जन्मी हुए इस विशुद्ध निम्न न्थ परम्परा का अजन्र प्रवाह श्राज भी
प्रबचदभान है जिसको नस-नस में सततेज उप्मा संचरिति है, जो
साधना-पथ पर पिछड़े जर्जरित कु ठित हतोत्साहित मानव समु-
বাল में नृतन स्फूरण का संचार कर अन्तर जाग्ति का प्रेरक
ज
पसभ उपस्थिन दार रही है।
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