श्रद्धागुण विवरण | Shraddh Guna Vivaran
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
404
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९९
जाय: इस द्वेतु निरंतर' अपनी योग्पता के यनुप वृत्र निप
मादि दो करे है इसीलिये ऐसे रिवलि)' दी গান कदा
जाता हैं। 1 8 ইউজ সহ
` श्रावक धर्म केता हे
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पुदेदख माहुपत्ययतिषमनाप्तयादि कमण! --
मोदषुखदायकत्पेन सुपर ल्पर्मनिः योग्यभ्यरएव दकतच्पः ॥
> इ्यर्म-सुदरेवपन वं भासुपलंपने ` घौरेत्यतिधरै कौ प्रति
श्रादि क्रमानुनार मोक्ष के सुख को देने वाले होने से “जो घम
कल्पदत्त की उपमा के योग्य हैं बह योग्य पुरुष.को ही देना
चाहिये क्योंकि कह ই কি... .. --) বীর
नें सित्र हेऊ साथय धम्प्रों वि कमेण सेविश्ो विहिणा ।
त्तम्हा .जुर्गजियाण दायब्यों धम्मरासियाण 1111).
: अर्थ-वित्रि पूर्वक सेवन. क्रिया-हुथा श्रावक धर्म भी সা
से मोक्ष का हेतु होता है, इसलिए थ्रावक धर्म के विषय में रासिक
योग्य पुरुषों को ही ध्रावक्थर्म का.प्रदान करना चाहिये .।
५
विवेखन- श्रवक-घर्म किसी अयोम्य व्यक्ति को नहीं देना
आहिये” यह प्र्थकत्तौ का आशय -है क्योकि धम-रत्वः जैसी
अमूल्य वस्तु योग्यायोग्य का विचार किये बिना-हरुएक को कैसे
दी जा सकती है । এ জি টি উন ভিজ ও
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