प्रबंधचिंतामणि मे चित्रित सामाजिक व आर्थिक डाटा | Socio-economic Data As Depicted In The Rabandhachintamani (in Hindi)

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Socio-economic Data As Depicted In The Rabandhachintamani (in Hindi) by रेनू श्रीवास्तव - Renu Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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0 ররর ৯৬৯৯১ 3नकननन कम... मोमा आकलन आदत दशा भा शशश आल धध भय शतक श भा नर भभ भा कथा का मे विद्रोहियो के दमन हेतु आगे बढा ओर उसी सघर्ष मे मृत्यु को प्रात हुआ परन्तु उसके पुत्र लवणप्रसाद ने अपन पिता के अभियान को जारी रखा । उसने अपने दा भ॑ 1ईयो वस्तुपाल एव तेजपाल की मदद से साम्राज्य के भीतरी असतुलन एव विदेशी आक्रमण को रोकने का प्रयास किया । गुजरात के विपरीत यादवो (ग्यारहवी सं तेरहवी श० ई०) के आक्रमणो एव परमारो के विद्रोह को भी लवणप्रसाद ने दबाया। 1192 ईस्वी म मुसलमानी ने उत्तर भारत मे पृथ्वीराज को परास्त करके अजमेर पर राज्य स्थापित किया। जब मुसलमानो ने (1165) म्हर पर आक्रमण किया तो चौलुक्यो ने अपनी सेना को वहा भेजा जिसने मुसलमानो को लगभग अजमेर शहर तक खदेडा इसके फलस्वरूप कुतुबुद्दीन ने गजनी की एक नयी सेना के साथ गुजरात पर आक्रमण किया ओर उसीक राजधानी को लूटा लेकिन थोड़े समय बाद ही वहाँ रो वह चला गया। इस प्रकार की स्थिति मे वहाँ के साम्राज्य मे आन्तरिक सहमति न हो सकी। 1210 ईस्वी मे गुजरात की गद्दी की जयन्तसिह या जयसिह ने जबरदस्ती छीन लिया ओर पन्द्रह वर्षो तक वहां राज्य किया जिसे 1223 से 1226 ई० मे लवण प्रसाद तथा उसके पुत्र वीरधवल ने पुन प्राप्त किया। यादव सिह गुजरात के विपरीत सघर्ष हेतु पडोसी राज्यो से सामञ्जस्य स्थापित करने मे लगा रहा। जब दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश (1229 ई० मे) ने उत्तरी गुजरात पर आक्रमण किया तो यादव सिह ने परमार राजा तथा लाट देश के प्रमुख के साथ मिलकर दक्षिणी भाग पर आक्रमण कर दिया परन्तु बीरधवल तथा वस्तुपाल ने वीरतापूर्वक दोनो शत्रुओं पर काबू पा लिया। 1231 ई० मे यादव सिह के साथ सधि करके लवणप्रसाद ने राज्य छोड दिया, फिर उसका पुत्र वीरधवल गुजरात का वास्तविक शासक बना। भीम दितीय कुछ समय के लिए राजा बना ओर 1238 ई० मे उसकी मृत्यु हो गयी तथा उसके बाद त्रिभुवनपाल राजा हुआ। उसके राज्य मे यादव सिह ने पुन परमार तथा गुहिल शासक के साथ मिलकर आक्रमण किया जिसक्लें वीसलदेव ने शत्रुओं को उखाड फेका। इसके पश्चात्‌ वीरम अर्जुन शारगदेव, कर्ण इत्यादि ने थोडे-थोडे समय के लिए राज्य किया। कर्ण के राज्य के प्रथम वर्ष ही गुजरात पर अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण हुआ और उसने वहाँ पर अपना राज्य स्थापित किया। हे एतिहािंफता--प्रस्तुत शाधग्रन्थ प्रबन्धचिन्तामणि एतिहासिक दृष्टि रो बहुत महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इस गण का रचनाकाल लगभग तेरहवी शताब्दी का अतिम चरण है, किन्तु इसका वर्ण्य-विषय का काल लगभग 950 ई० 1 मजूमदार आर० सी °, एष्येट इडिया प° 94-108




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