ज्योति पुंज | Jyoti Punj
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
90
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मनकहर नहर १९१
है. हमारा त्रश काश्मोर मे एक नहर के किनारे रहता था. साथ ही प्रसिद्ध
भा था अंत नहर क किनारे रहने करसे होने के कारण हमारा भाम नेहरू
प सयः 1 शन् ९८६७ ईं के श्रास-परस शरण्ये खदा को किनं कारणो
से काश्मीर त्याग करना पड़ा ओर वह दिल्ली आकर, वहीं स्थायी तौश से
इस गये । जिस समय भरी मोतील्ाल नेहरू यम में थे, तभी आपके दादा स्वग-
पथ के अजुगामी हो गये । उनकी सृत्यु के छु्ट सास उपरान्त मोतीलाता जी ने
संसार सागर की प्रथम फिरण देखी । उस समय नेहरू वंश की पारिवारिक
स्थिति अत्यन्त कश्ठपद थी, ज्यों-त्यों परिवार का भरण-पोषण हो रहा था । उसी
ऋडिनाई के वातावरण में मोत्तीज्ञाल नेहरू का अध्ययन चेत्ना ! किसी अकार
हु वैरस्यम् बन प्रयास में हाईकोर्ट ( उच्च न्यायात्तय ) में आ गये [| यहाँ
उनकी श्रा्थिक स्थिति ने एकदम मोद क्तिः और कुछ ही ऋर्खें में नेहरू-
परियार राजस्व भोग प्राप्त करमे लगा ।
प्रयाग, त्रिवेशी की संगमस्थली पर, जहाँ गंगा, यमुना छूवं सरस्वती का
খুলীল वं श्रमे मिलन हो रहा दै, ९४ नवस्व, शय ई को नेहरू बंश को
गमा मे, मर्ता क श्रमल धणं से, जकहरे की कियल बारा का मधुर संगम
हुआ ।
कुछ की दिनों पर्चान जवाहरलाल को पढ़ने बेंठा दिया गया। घर पर
गक पंद्िित धंस्कृत पढ़ाने, एक ऑग्क युवती श्रेय जी पढ़ाने ओर शूकं मोली
उदु पढ़ाने थाने कम | पहुने-लिखने मे तन्हा जवाहर লন কট আমার जग
मग्राता प्रिद्ध डुश्ा । अन्यकास में ही आवश्यक शिक्त प्रप्त कशा, नन्दे जवर
को ह् भ्त मैन द यथा, उच्च समय उसकी अथु केव बारह बष की थी।
नन जवाहर ने शोशवानस्था से किशोरावस्था, किशोरावस्था से আনব
प्रवेश क्रिया 1 विवाह की वात चल्ली, तो आपके भावी वसुर् ने आपको
देखते के जिए शपने धर दिल्लों मे बुलाया) पित मोतीलाल ने हर्षित हो
ठर আট षती जने का शदे द दिया, किन्तु अभी होनहार जवाहर
विवाह नहीं करना चाहते थे, अतः चढ़ बहुत विगढ़ रहे घे; स्व नीक कौ
फर रहय, मके सामने जकर रिइशिदाायें भी, হাল লী हुए
कि. बह पिता जी से कहें कि विवाह करने की अमी कौन शीघ्षता है ? किन्तु
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