इक्कीस कहानियाँ | Ikkis Kahaniyan

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राय कृष्णदास - Rai Krishnadas

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वाचस्पति पाठक - Vachaspati Pathak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ इकक्‍्कीस कहानियाँ ओतप्रोत रहती है। वह अनाप-शनाप वातों द्वारा समाज की किसी अवाॉछतीय स्थिति पर कटाक्ष करता है, अथवा अतिरंजित चित्र द्वारा समाज के सह्े-गले वा खोखले अंग का दोष दिखाता है, साथ ही हमें उसके दृरीकरण के लिए प्रेरणा देता है । जासूती कहानियाँ जाम॒सी कहानियों का भी एक अलग वर्ग है। उसमें सनसनी एवं चकक्ररदार घटनाएं, जासूस का बुद्धिबल और साहस एवं अपराध की प्रतिद्वन्द्विता दूसरी घटनाओं एवं भावों को आरोपित कर छेती हैं। उसके मुख्य रस वीर और अद्नुत कहे जा सकते हैं; किन्तु जासूसी पृष्ठिका के कारण उनके स्वाद विकल जाते हैं । हा कहानियों का विन्यास -प्रकार कहानियां के विन्यास के कुछ मुख्य प्रकारों का इंगित ऊपर स्थान-स्थान पर हो चका है। उनके सिवा कुछ अन्य मुख्य प्रकार ये हो सकते हैं--( १) किसी पात्र के मूँह से, (२) पत्रों द्वारा, (३) इजहारों द्वारा, (४) अखवारी समाचारा द्वारा, (५) स्वप्न द्वारा, (६) संस्मरण वा डायरी द्वारा तथा (७) अन्योक्ति द्वारा अर्यात्‌ लाक्षणिक (उदाहरणार्थ, किसी कहानी का नायक सड़क का राह है; किन्तु वस्तुतः वहु रोड़ा दलित मानवता का प्रतीक है) हिन्दी कहानियों का यदि विषयवार विभाजन किया जाय,तो प्रेम-कहानिय के बाद दौख-दर्द “। “+ (7 ४7 -+ -आयेगी। दलित भारत के कलाकारों की ठेसी प्रवृत्ति होना स्वामायिक है! इनके वाद एतिहासिक आर तव सक्स-समत्या वाली कहानियों का स्थान दै, उपरान्त हास्य रसं की कहानिथौं का जासूनीः कहानियों की ओर गहमरीजी के बाद प्रायः किसी का झुकाव कही हुआ । जीवट और वीरता की कहानियों का अपने यहाँ भारी अभाव ই हिन्दी का कहानी साहित्य ¬ सींच + कथा-साहित्य में अधिकांश पाठकों को आइचर्यथ और कौतूहल ही सबसे अधिक आक्ृष्ट करता है। यही कारण है कि हमारे कवा-साहित्य के आरम्म-काल में देवकीनन्दन खत्री की चद्धकान्ता और सन्तति ने इतनी लोकप्रियता प्राप्त को कि आज तक इनकी माँग चली जाती है। यद्यपि उसी समय के आसपास स्वगाय শপ




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