बाजार - समीक्षा | Bajar Samiksha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bajar Samiksha by राम बिलास - Ram Bilas

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राम बिलास - Ram Bilas

Add Infomation AboutRam Bilas

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १०.) , तेजड़ियों की कठान আা লিক্ধলাজী (30]] 11001096100, 81019201776 05 60115, 1008 कृपते या 01517658 52165)-- जव भावों के बढते की प्रतीक्षा करते करते सौदे के निबटाने की तिथि पास श्रा जाती है और भाव में सुधार की कोई आशा नहीं रहती तो वायदा पूरा करने के लिए तेजड़ियों को अपना माल बाजार भाव पर बेचना होता है। इस प्रकार की बिक्री को तेजड़ियों की कटान . कहते हैं । मन्दड़ियों का पठान या लेबाली (36270 ० 51071 (७०ए०ग78 )-- जब मन्दड़ियों को अपने बेचे हुए सौदों का पटान करने के लिए घाटे पर माल खरीदना पड़ता है तो इसे हम मन्दड़ियों की पटान कहते हैं। मन्दड़िये जब तक वह माल नहीं खरीद लेते जोकि उन्होने बेच रखा है तब तक श्ररक्षित मन्दड़िये ([छ700ए27९० 56875) कहलाते हैं । बाजार हथियाना (1.08 0०7०)-- जब तेजड़ियों का प्राधन्‍्य बाजार में होता है तो कभी कभी धनवान तेजड़िये बाजार का कुल माल खरीद कर उस पर अपना एकाधिकार कर लेते हैं और फिर बाजार को अपनी इच्छा के अनुसार बढ़ा देते हैं। इसे बाजार हथियाना कहते हैं । मन्दड़ियों को कोरी बिक्री (5907: ० 818201८ 5816)-- भाव गिराने के लिए . मन्दड़िये जो लगातार भारी बिक्री करते हैं, इस आशा से कि बाजार को भुलावे में डाल कर भाव कम होने पर वह माल क्रय करके लाभ उठा लेंगे, उप्ते मन्दड़ियों की कोरी बिक्री कहते हैं । | भाव-वृद्धि-कारक सौदे (212€7£ ) -- तेजड़िये भावों को बढ़ाने के लिए अ्रफ- वाहों के फैलाने के साथ-साथ आपस में कुछ नाम-मात्र सौदे भी करते हैं जिससे बाजार ` वालों को विश्वास हो जाय कि माल के मूल्य अवश्य बढ़ेंगे। ये नाम-मात्र सौदे बड़े संगठित ढंग से किए जाते हैं। इन भावं बढ़ाने वाले सौदों को भाव-वद्धि-का रक सौदे ॥ (218६) कहते है! व्यवसायिक गट तथा संघ (०६5 2०0 २००13) -- कभी कभी कृद व्यापारी मिलकर अपना गुट इसलिए बनाते हैं कि माल को रोक कर भाव बढ़ाये जायं और भारी लाभ उठाया जाय | इस प्रकार के ठहराव करने वालों को व्यवसायिक गुट (ण्ट) कहते हँ । जव उत्पादक अपना संघ इस उद् श्य से बनाते हैं कि वे मिलकर अपना माल बेचेंगे जिससे आ्रापस में प्रतिस्पर्धा न हो और मिलकर बेचने से जो लाभ होगा झ्ापस में उचित रूप में बांट लेंगे तो ऐसी व्यवस्था को उत्पादक संघ या व्यव- सापिक संघ कहते हैं । द ` भ्रामद (^1,815) -- किसी निर्धारित समयमे जो माल बाजार में बिकने के लिए श्रताहै उसे उस समयकी मालक ग्रामद (410%219) কন ই | माल की .. आमद से माल की তুলি নত জারী ই। ললামল জীবা (50275 19581) -- वायदे के सौदे मे जव माल की डिलीवरी 0 ০ উল আজ = না ौ ५




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now