फलदीपिका | Phaldipika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30.61 MB
कुल पष्ठ :
684
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गोपेश कुमार ओझा - Gopesh Kumar Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रत्यन्तर;्चन्द्र महादज्ञा में अन्तर और अन्तरों में प्रयन्तर-मगल
महादका में नौ अन्तदंशाएँ और उनमें प्रत्यन्तर-राहु महादशा में अन्तद॑शा
और प्रत्यन्तर-गुरु महादश। में अन्तदंशा और प्रत्यन्तर-बुध महादशान्तगंत
गन्तदशा और प्रत्यन्तर-केतु में अन्तर और प्रत्यन्तर तथा शुक्र महादशा
में नवों अन्तदंशा और प्रत्यन्तदशा। पृ० ४५१-४८५
२२. बाईसवाँ अध्याय : मिश्रददा
कालचक्र महादशा, भन्तदशा-महादशा काल-भुक्त भोग्य निकालने
का प्रकार-प्रत्येश नक्षत्र चरण में जन्म होते से रादियों का
दशाक्रम-प्रत्येक राशि का दशा काल-प्रत्येक दशा में काल-राझि
स्वामीवद् फल में तारतम्य-गोचरवण प्रभाव-त्रिविघ् गतियाँ-इन
सबकी पूर्ण व्याख्या उदाहरण सहित-जन्म नक्षत्र से पाँचवें तथा आठवें
नक्षत्र से उत्पन्न, भाघान तथा महादशा-निसरगं दशा-अंझ दशा-सत्याचायं
का मत-पिण्डायुदशा-जीवशर्मा मणित्थ, चाणक्य, मय आदि का मत ।
पुर '४८६-५३५
२३. तेईसवाँ अध्याय : अष्टकवगं ।
मष्टकव्ग से गोचर विचार का सिद्धान्त-सूर्य-चन्द्र, मंगल, बुघ,
बुहस्पति, शुक्र तथा शनि के अष्टक वग बनाने की प्रक्रिया-उपचय,
मित्र राशि, स्वोच में या अनुपचय, दात्रुराशि या नीच ग्रह से फलादेश
में तारतम्य-एक या अधिक बिन्दुओं का अशुभ या शुभ फल-प्रह को
लग्न मान शुभाशुभ निर्देश-प्रत्येक राशि की ८ कक्ष्या-कक्ष्यावश शुभाशुभ
काल निणय-सर्वाष्टकवर्ग-उदाहरण सहित । पृ० ५३६-५६१ ।
२४. चौबीसवाँ अध्याय : अष्टकबग फल
पिता, माता, भ्राता आदि तथा स्त्रयं का शुभाशुभ काल निणंय-
अष्टकवर्ग से शुभाशुभ वरष॑ निकालने का प्रकार-किस राशि या दिशा ,
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