निमाई सन्यास नाटक | Nimaai Sanyaas Natak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
57 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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स्थानों में भी श्रीगौराजह़ुः के मंदिर हैं । समग्र उड़ीसा में घर
'घर श्री चेतन्य की पूजा होती है।” # कहीं कहीं श्रीकृष्ण अथवा
विष्णु के साथ श्रीगोराड़ की भी सूर्ति पूजी जाती है। यदि
तत्काल सब लोग श्रोगौराड् को अश्वांत रूप से अवतार न
मानते तो ऐसा कदापि न झ्ोेतां। जिस प्रकार बड़ बड़ राक्षसो
को मारने के लिए पहिले कई अवतार हुए थे उसी प्रकार
हिन्दू समाज में पाषंडरूपी महाराक्षस का दऊलून करने और
'औैष्णवधमंस्थापन करने के लिए ही यह अवतार हुआ था।
२-भगवजन्नामस सहिसा
पतितस्खलितो भन्नः सन्दृश्स्तप्त आहतः।
हरिरित्य वशेवाह पुमान् नाहंन्तियातनाः।
( अजामिलोपाख्यान )
হা | भगवज्नाम की अपार महिमा है। ऊंचे स्थान
से अथवा पैर फिसलने के कारण गिरते समय, अङ्कः
भङ् होने के समय, सर्पादि जीवों के दंशन कार ओर
ज्वरादि की कठिन यंत्रणा से तप्त तथा घायल होते
अनायस ही हरिनाम उच्चारण करे तो मनुष्य को कोई यातना
नहीं भोगनी पड़ती ! विनोद मे, गाते हुए अथवा किसी
प्रकार से भी भगवान का नाम लेने से जब मंगल होता है तब
भक्ति के साथ नाम लेने से कितना मंगल होगा उसका अंत
'नहीं | हरिनाम लेने में कोई प्रतिबंध नहीं है| प्रत्येक अवस्था
मजो चाहे वही नाम ठे सकता है । श्रीगौराङ्कः ने हरिनाम
रूपी देव-दुखंम अश्रेत कलिका के जीवौ को पान कराया
` है जिसके पीने से अमरत्व से मी बद्कर खर-मुनि वाच्छति
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