जैनभजन प्रकाश [भाग 4] | Jain Bhajan Prakash [Part 4]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
डाल गणि वान्दो॥ बन्दत प्रम ्रानद्
लो ॥ भेटत शिव सुख कंद लो ॥ मुख जिम
पनसचंद लो॥ चेसोरे उपगः खामी
डाल गणि बान्यो ॥ भविजवकी ष्टे पनि-
बर डाल गयणि बांदो ॥ एषां ॥ चाद् जिनेद्
ज्य भिन्न अधिक उजागर ॥ पंचम धरै
मंभार सो ॥ धमं प्रगट लियो बहू सवि-
ताखा ॥ जिन सांसण उजियार तो ॥बांदो॥
॥ १॥ वस्पटठ सप्तम डाल सनिंदा ॥ च्यार
तौथ झाधारलो । दश प्रियारो ज्यांरो जे कोड
पावे ॥ पुन्य पल तसुार लो ॥ वादो ॥
।॥ २॥ समो सरण विच जितदर सोहै ॥
भविमन रोड अपार चो ॥। জিম दख सारे
प्राप जिनवर जेहवा॥ ज्ञानसौरोसमल सार
लो॥ बांदो ॥३॥ सभा शुध्नीं इन्टर
दिपादे॥ जिम जिन सांख्य आयल ॥
भिचु गणिंदरो तखत ढिपावो।। यांरो दिल
শপ.
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