ब्रह्मानन्द केशवचन्द्र सेन | Bramhanand Keshavchadra Sen

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Bramhanand Keshavchadra Sen by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( & > केशव की प्रकृति ज्ञिस प्रकार स्रर्ग की वाता से भरी हुई थी, उसी प्रकार आपके शरीर में भी स्वगे की सुन्दरता मलकती थी । 'गौरबण, शान्त, शिष्ट, प्रियदर्शन बालक केशव को देखने से दिव्य कान्तिमय एक स्र्गदूतः का श्राभासत लोगो को मिलता था। वचपन द्यी से आपको प्रकृति धीर और गम्भीर थी झौर आप मिवभापी ओर सवाचन्त्यप्रिय ये। भाप सवेदा परिष्कार घौर परिच्छन्न रहा करते ये ! पनी सारी चीजों को सवेदा ठोक-ठीफ जगहों मे सजाकर रक्खा करते थे | सभी चीजों मे परिच्छन्नता भौर सुन्दरता मलकती थो । भन्तर शौर वाटर दोनों खे सदा दी मानों खाप सरलता, परिच्छन्नता और सुन्दरता का परिचय देते थे। आपकी बुद्धि भो प्रारंभ दो से भति तीक्ष्ण और प्रखर थी, चरित्र निमल और सरल था । 'होनद्वार विरवान के होत चिफने पाततः । इन्दी खव स्वाभाविक गुणों के फारण आपने इस प्रफार जन्-समाज में त्रह्मजीवन लाम षी कामना और जाकांक्षा फी नींव डाली है । आप जिस परिवार में लालित-पालित हुए थे वह परिवार भी आपकी प्रकृति को सदा शुद्ध और सरल रखने मे परम सहायक हुआ था । कोछुटोले के सेन-परिवार फी ख्याति देश- विदेश चारों ओर फैली थो। रामकमल सेन वेप्णव धमी- নজজ্নী पुरुष थे। वे विज्ञ, चिचक्तण, वुद्धिमान्‌, सत्यनिष्ठ, न्यायपरायण, साहसी ओर परिश्रमी व्यक्ति ये । चिष्णु-भक्ति ही इसका आधार और सद्दारा थी । इस पवित्न धर्मनिष्ठ परिवार में सदा ही देव-आराघना और घर्मं फा एक-न-रक अनुष्ठान हदा ही रहता था । प्रात काल और सन्ध्या समय सधुर हरिनाम की




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