फाटकाजंजाल नाटक | Fatkajanjal Natak
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
274
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)॥ श्री॥
फाब्काजजाढ नाटक
अंक पहलो.
ইত का कि
45 ५
पात्र+-रामचन्धजा ( श्रीकिसन सेठ का मुनोम ), रतनासग (दुकान को
जमादार ), हीरालालजी ( रोकड़या ), श्रीकेसनजी ( एक अग्रवाल महाजन), :
रामरतनजी . ८ श्रीकिसनजी का वड़ा वेदा ), वैसीधरजी ८ एक पंडित );
` छप बाई - ( श्रीकिसनजी , की बहू ), ब्रजलछालजी: ( श्रीकिसन्जी का
छोटा भाई ), गणेशरामजी (उनका सुनीम ), गुखाबचन्दजी (रोकड्या),
शिवकरणजी (एक दलाल ), मोतीलालूजी (दूजो दलाल ),. नगन्नाथ-
असाद (एक. वकील ), हसनखां (त्रजलालजी को जमादार), करीमोद्दीन
( जमादार को दोस्त ), अमरासग (दूजो दोस्त ), गंगांबंसनजी ( त्रजल-
लजी का दोस्त ), तारवाठों तथा ब्रजछालूजी को साईंस
प्रवेश पंहलो,
` व्किाणो-सराफा की दुकान,
( रामचन्द्रजी मुनीम अवे छे )
शापचं ०-( चान्या कानी देखकर ) जमादार ! जमादार ! !
| (स्तनसिग अंदर सू आकर. )
रतन ०--जी, होकम !
' शामच् ०-हकम कायको भाई, हाछ कोई आया नहीं ? आठ बज गई.
तंन ०-हम क्या जानी ? अभी कोड नहीं आवा
( इतना ` मांह ठीराललजी अवे छ, )
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