फाटकाजंजाल नाटक | Fatkajanjal Natak

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Fatkajanjal Natak by शिवचन्द्र भरतिया - Shivchandra Bhartia

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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॥ श्री॥ फाब्काजजाढ नाटक अंक पहलो. ইত का कि 45 ५ पात्र+-रामचन्धजा ( श्रीकिसन सेठ का मुनोम ), रतनासग (दुकान को जमादार ), हीरालालजी ( रोकड़या ), श्रीकेसनजी ( एक अग्रवाल महाजन), : रामरतनजी . ८ श्रीकिसनजी का वड़ा वेदा ), वैसीधरजी ८ एक पंडित ); ` छप बाई - ( श्रीकिसनजी , की बहू ), ब्रजलछालजी: ( श्रीकिसन्जी का छोटा भाई ), गणेशरामजी (उनका सुनीम ), गुखाबचन्दजी (रोकड्या), शिवकरणजी (एक दलाल ), मोतीलालूजी (दूजो दलाल ),. नगन्नाथ- असाद (एक. वकील ), हसनखां (त्रजलालजी को जमादार), करीमोद्दीन ( जमादार को दोस्त ), अमरासग (दूजो दोस्त ), गंगांबंसनजी ( त्रजल- लजी का दोस्त ), तारवाठों तथा ब्रजछालूजी को साईंस प्रवेश पंहलो, ` व्किाणो-सराफा की दुकान, ( रामचन्द्रजी मुनीम अवे छे ) शापचं ०-( चान्या कानी देखकर ) जमादार ! जमादार ! ! | (स्तनसिग अंदर सू आकर. ) रतन ०--जी, होकम ! ' शामच्‌ ०-हकम कायको भाई, हाछ कोई आया नहीं ? आठ बज गई. तंन ०-हम क्या जानी ? अभी कोड नहीं आवा ( इतना ` मांह ठीराललजी अवे छ, )




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