श्री एकनाथ चरित्र | Shri Eknath Charitra
श्रेणी : जीवनी / Biography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about लक्ष्मण नारायण गर्दे - Lakshman Narayan Garde
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ६५ ॥|
और पीछे उनके सदाचरणसे मुग्ध होकर उनके भागवत गन्थ-
का जयजयकार किया; इसोमें फिर दासोपन्त और नाथकी
सेंट, नाथको छानेदवर महाराजके दश्शनोका काम सौर गावचा-
का चरित्र वर्णित हुआ हे! ग्यारहवे ध्याय उनकी
सन्ततिका वणैनकर उनके नाती सुक्तेदवर ओर पु दरिः
पण्डितका परिचय करा दिया हे । नाथ ओर दरिपण्डितमे
परस्पर विरोध ओर फिर मेल केसे हुआ यह बतलाकर नाथके
निर्याणकालका वर्णन किया है और वारहयेंम नाथकी वड़ाई
वड़ोने केसे बखानी है यह बतलाया हे 1 ये सव वाते, ये वारह
अध्याय पढ़नेसे अच्छी तरहसे मात्दम होगी । गृहस्थाश्रममे
रहते हुए एकनाथ महाराजने अपनी ब्रह्मस्थितिकी अखण्ड
रखा । नाथका-सा मनोहर चरित्र नाथका ही है । इसकी कोई
दूसरी उपमा नहीं । श्री क्षेत्र पेठणमे मैं पन्द्रह दिन रदा, शस घीच
जो चातें मालम हुई उनसे भी इस चरित्र-लेखनर्म सुझे बड़ा
लाभ हुआ। में इस चरित्र-मालाको उपयुक्त भावुक, रसिक,
और चिकित्सक तीनोके प्रधान गुर्णोका बदर कस्ते
हुए. तेयार करनेवाला हूँ । कार्यारस्म हो गया है और हेतु यही
है कि हरि; दरिसक्त और हरिनामके विषयमें अपना ओर
अपने पाटकोका प्रेम यर आद्र बढ़े और सन््त-चरित्रके
द््पेणमें अपना निजरूप हम लोग देख सके। आत्म-शुद्धिका
इसके सिवाय और कोई दूसरा साधन मुञ्चे नहीं दिखायी
देता। रवण, मनन सौर निदिध्यास सवका फर सन्तेकि
संगसे प्राप्त হীনা दे। सन्तौका गुणगान जीवको भिय देः
User Reviews
No Reviews | Add Yours...