iइन्दिरा प्रियदर्शिनी | Indira Priyadarshini
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हे
एक श्रामसभा करने की:योजना तैयार की । पुलिस की इसके लिए
सख्त मनाही थी; पर धमकियों और विरोध के बावजुद-भी सभा
हुई, जिसमें इन्दिरा ने साहस-पूवेक भाषण दिया। फिरोज भी
-श्रा पहुँचे.! इन्दिरा पकड़ी गईं ।
जेल में;:उसे किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं दी गई। २१
वर्ष की अल्पायु में नई नवेली दुल्हन को .त्ेरह माह:की जेल की
सजा भुगतनी पड़ी । फिरोजः गांधी भी जैल में बन्द कर;दिए गए
दोनों ने ही अपने. विवाह ।की वर्षग्राठ जेल, में मनाई । इन-पीड़ाओ्ों व
संघर्षों सेप्रपके मन-की राष्ट्रीय ,भावना, त्याग व साहस मजबूती
-पकड़ता- गया.।
'स्वतन्त्रताप्राप्ति के पश्चात :
निरन्तर कठोर संघर्षों के वाद श्राखिर १५ श्रगस्त, सन् १६४७
को भारत स्वतन्त्र हुआ, पर जाते-जाते भी -कूटनीतिज्न अंग्रेजों ने
भारतकेदो भाग कर दिए । भारत-विभाजने के कारण हिन्दव
मुसलमानों के वीच .साम्भरदायिक तनाव ग्रौरसंवपं हौ ःगया। देश
के श्रन््य. नेताओं की भाँति;ही इन्दिराजी भी इस विभाजन के पक्ष
में नहीं थीं, पर परिस्थिति की नाजुकता के:आगे-सभी को विवश
ही जाना: पड़ा ।
देश के स्व॒तन्त्र: हो जाने के उपरान्त श्राप अधिकांशत: अपने
(पिता के साथ ही रहीं, इससे सार्वजनिक जीवन से आपका परिचय
ओर भी घनिष्ठहो गया । विदेश-यात्रा के समय भीःवह पिता के
'साथ जातीं। स्वभाव से आ्राप बहुत उदार एवं सहानुभूति-शील रही
हैँ । सन् १६५० में एक वार जब श्राप कनाट प्लेस में घूम रही थीं
'तो श्ापने एक अपंग बच्चे को कुछ चीजें बेचते हुए देखा.1 उसकी
'दीन-हीन एवं विवश स्थिति ने आपको बहुत प्रभावित किया । आपने
तत्काल 'बाल-सहयोग-संस्था' की स्थापना की, जिसमें अनाथ एवं
“अपंग बच्चों को आश्रय. दिया जाता था ।
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