iइन्दिरा प्रियदर्शिनी | Indira Priyadarshini

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Indira Priyadarshini by सत्येन्द्र पारीक - Satyendra Pareek

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हे एक श्रामसभा करने की:योजना तैयार की । पुलिस की इसके लिए सख्त मनाही थी; पर धमकियों और विरोध के बावजुद-भी सभा हुई, जिसमें इन्दिरा ने साहस-पूवेक भाषण दिया। फिरोज भी -श्रा पहुँचे.! इन्दिरा पकड़ी गईं । जेल में;:उसे किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं दी गई। २१ वर्ष की अल्पायु में नई नवेली दुल्हन को .त्ेरह माह:की जेल की सजा भुगतनी पड़ी । फिरोजः गांधी भी जैल में बन्द कर;दिए गए दोनों ने ही अपने. विवाह ।की वर्षग्राठ जेल, में मनाई । इन-पीड़ाओ्ों व संघर्षों सेप्रपके मन-की राष्ट्रीय ,भावना, त्याग व साहस मजबूती -पकड़ता- गया.। 'स्वतन्त्रताप्राप्ति के पश्चात : निरन्तर कठोर संघर्षों के वाद श्राखिर १५ श्रगस्त, सन्‌ १६४७ को भारत स्वतन्त्र हुआ, पर जाते-जाते भी -कूटनीतिज्न अंग्रेजों ने भारतकेदो भाग कर दिए । भारत-विभाजने के कारण हिन्दव मुसलमानों के वीच .साम्भरदायिक तनाव ग्रौरसंवपं हौ ःगया। देश के श्रन्‍्य. नेताओं की भाँति;ही इन्दिराजी भी इस विभाजन के पक्ष में नहीं थीं, पर परिस्थिति की नाजुकता के:आगे-सभी को विवश ही जाना: पड़ा । देश के स्व॒तन्त्र: हो जाने के उपरान्त श्राप अधिकांशत: अपने (पिता के साथ ही रहीं, इससे सार्वजनिक जीवन से आपका परिचय ओर भी घनिष्ठहो गया । विदेश-यात्रा के समय भीःवह पिता के 'साथ जातीं। स्वभाव से आ्राप बहुत उदार एवं सहानुभूति-शील रही हैँ । सन्‌ १६५० में एक वार जब श्राप कनाट प्लेस में घूम रही थीं 'तो श्ापने एक अपंग बच्चे को कुछ चीजें बेचते हुए देखा.1 उसकी 'दीन-हीन एवं विवश स्थिति ने आपको बहुत प्रभावित किया । आपने तत्काल 'बाल-सहयोग-संस्था' की स्थापना की, जिसमें अनाथ एवं “अपंग बच्चों को आश्रय. दिया जाता था ।




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