वेणीसंहार नाटक | Vainisanhar Natak

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Vainisanhar Natak by डॉ॰ शिवराज शास्त्री - Dr. Shivaraj Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १७ ) नारायण पर प्रभाव उड़ा होगा । लेकिन भटद्दनारायण की रचना पर पूववर्ती कवियों का कोई प्रभाव लक्षित नहीं होता । ह भट्टनारायण की अन्य क्दियों से तुलना--यह स्पष्ट है कि भद्दनारायण में कालिदास जैसी स्वाभाविकता तथा सरसता, बाण जैसा परिष्कार और भवशूत्ति ' जैसी उदात्तता नहीं है। भट्टगारायण को कना की हृष्टि से हषेवर्धव का समकक्ष -भी नहीं कटा जा सकता 1 भटूनारायणको द्वितीय श्रेणी का ही कवि तथा ताटककार कहा जा सकता है । भट्टतारायण की तुलना मुद्राराक्षस के रचयिता विशाखदत्त से की जा सकती है । इन दोनों की भाषा में ओज तथा गति है । ` समय की हृष्टि से भट्टनारायबण भवश्षति के समीप है। शैली की क्ृत्रिमता के विचार से भी भट्टनारागण और भवशभूति में समानता है, लेकिन काव्यकला की -हृष्टि से भट्टनारायण की भवभूति से कोई तुलना नहीं हो सकती | प्रकृति को ' भव्यता और मानव-ह॒ृदय के चित्रण में भट्दुनारायण में भवभूति जेसी सिद्धहस्तता ` नदीं पाई जाती সা আর ও পাপ




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