जैनागम नवनीत प्रश्नोत्तर | Jainagam Navneet Prashnottara

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Jainagam Navneet Prashnottara by तिलोक मुनि - Tilok Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जैनागम मवनीत प्रश्नोत्तर और भवीजीव ये सभी बोल आठवे अनत मे होना उपयुक्त ॐ ` ९५. है। खीलिग सिद्ध अधिक या पुरुष लिग सिद्ध अधिक है ? एक समय मे सिद्ध होने की सख्या की अपेक्षा स्रीलिग सिद्धा से पुरुषलिग सिद्धा सख्यात गुणा है । क्योकि सखी एक समय में उत्कृष्ट २० और पुरुष १०८ सिद्ध होते हैं । किन्तु समस्त लोक के भूत कालिक सिद्धो की अपेक्षा सिद्ध क्षेत्र मे स्नीलिंग सिद्ध जीव पुरुष लिग सिद्ध से सख्यात गुणा हो जाते है । अत दोनो अपेक्षाओ को अलग-अलग समदय तेना चाहिये । क्यो कि प्रत्येक तीर्थकर के शासन मे ओरं प्रत्येक पृच्छा समयमे साध्वी की सख्या ज्यादा ही होती है । केवली की सख्यामे भी साध्वी ज्यादा होती है । सिद्ध क्षेत्र मे सिद्ध आत्मा का अस्तित्व खडे रूप मे है या कैसे ? तेरहवे गुणस्थान के अतिम मुहूर्त मे जब योग निरोध पूर्ण हो जाता है, १४ वे गुण मे प्रवेश होता है उस समय आत्म प्रदेश अपनी अवगाहना के २/३ भाग मे हो जाते है। उस समय शरीरस्थ आत्मा खडे हो या बैठे, सोये कोई भी अवस्थामे हो आत्म प्रदेश शरीर निरपेक्ष होकर खडे रूपमे हो जाते हे । १४ वे गुणस्थान मे इन आत्म प्दरेशो का अपनी अवगाहना स्थान मे स्थिरीकरण हो जाता है । योग निरोध के पूर्व ये आत्म प्रदेश शरीर मे उपर से नीचे भ्रमण करते रहते हैं। सिद्ध क्षेत्र मे सभी सिद्धात्मा का मस्तक विभाग अलोक से स्पर्शं किया हुआ होता है । सभी सिद्धो की अवस्थिति सिद्ध सिला पर होती है ?




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