दश लक्षण महाधर्म | Dus Lakchhan Mahadharam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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रिते म নসর বিছা की अरत
प्राप्त देतु छोक- नह जकका सनः परस्य
रदनः निया शुद्धि खा्ि “नहीं জ হয় আহা হর 1
भूपर जन्म कौ पप्य विक नू क्- विपा 89
एक धमे हीत् मित्र-है; রাই আইজ ই রর |
বহ্থাজিক্ নয ऋत 2, भम्र. ভুত হউ-প্রাজস
अन्त सम्रय कुडामा ज़ने, धन्नप्र/रिये खाज ।
क्ाग लबे फिर कृध को, ख्रोदत शरेल कऋाज॥17६॥
धर्म किए खुल हिल है; पर्म किए झुर छोया।
त्रम किमि शिव पुः बरसे, * ध सै समानः नः ऋक्षः #१५।।
ध मौ कद नदष जिवः, लोकी कल श्विमि कोत्र ।
भारदीन ओओ জাগা, লঙ্্ি। লহ भौ षधि হাল-হায ४४६
यथा शकि छ किरम कर, को$ धरो विक्षकस ॥
अद्धा करस्य ऋवे ॐ, पत्ता शुक्तिं निका ५॥१६॥
मामा संगी त॒ तनस, सा कहीं पृरिक्नार ¦
खदू रुक कहते जोश को, संग ই धमो ফির ।৯৩।।
मला नें कमा लने, कोरें मे अन्ध 4.
करं न चऋष्यम श्म क्रा न्म अक्रा আছ 8
क्षण अर भी दद्धि कष्ठ, शत्य श्रमे की खक 1
ण ज्य पर् कमं की, खा करिति नेच २।
निद्रा, भोज्गन अरोग अय्, पशु अर् तज्ञ सग्रह |.
प्रम अश्चिक ইন, অয় বিনা হয আল 10941
আরব, জামা, 8. ভু হি अपना कका । .
और परम जप বক, निरअंस्र करी সয়া দিত
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