हिंदी निर्गुण काव्य का प्रारंभ और नामदेव की हिंदी कविता | Hindi Nirgun Kavya Ka Prarambh Aur Namdev Ki Hindi Kavita
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
332
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ० एस० एफ० आड़कर- Dr. S. F. Aadkar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्दी नि्गुण काव्यधारा की पृष्ठभूमि
ब्रह्म फा अस्तित्व : वैज्ञानिक दृष्टि से-दार्शनिक दृष्टि से
मनुष्य का बह, उसको बुद्धि, उसका मन, उसके प्राण और उसका शरीर सच
मिलकर एक सुव्यवरिित मानव-संगठन का निर्माण करने हैं। ऐसे संगठन इस ब्रह्माण्ड
में अनेक हैं । निल्चिल ग्रह्माष्ड स्वतः ऐता हो एक यूहत् संगठन है ।
हमारा घरोर जैसे नितांत स्थूल परमाणुओ का संप्रात है बैसे ही ब्रह्माण्ड के
पृथ्वी आदि लोक भी हैं । शरीर को हो भौति ब्रह्माण्ड में प्राणशक्ति संचरित हो रही
है । हमारा सूद मन ग्रह्माण्ड का सूदम थाकाश है। हमारी बुद्धि ब्रह्माण्ड का चौलोक
है । भानव संगठन के समस्त अवयवो का प्रेरक जोवात्मा है । उसो तरह निललिल ब्रह्माण्ड
के भवयर्यो का प्रेरक एक परम आत्म तत्व होना हो चाहिए ।
जैसे मानवो शरोर रूपी संगठन को देखकर उसके रचयता का भान होता दै वैते
ही इस बह्ाण्ड के संगठन को देखकर | रचयिता की रचना शक्ति में प्रकाशात्मिका
बुद्धि निहित रहती है. उसी बुद्धि का विज्ञाल रूप ब्रह्माण्ड रचयिता के भोतर होना
चाहिए ^
आधुनिक विज्ञान ने ब्रह्माण्ड के संबंध में जो अनुसंधान प्रस्तुत किये हैं वे उस
परम तत्व की विराट वृद्धि पर पर्याप्त प्रकाश डालते है। सृष्टि निर्माण को योजना और
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