हिंदी निर्गुण काव्य का प्रारंभ और नामदेव की हिंदी कविता | Hindi Nirgun Kavya Ka Prarambh Aur Namdev Ki Hindi Kavita

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Hindi Nirgun Kavya Ka Prarambh Aur Namdev Ki Hindi Kavita by डॉ० एस० एफ० आड़कर- Dr. S. F. Aadkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दी नि्गुण काव्यधारा की पृष्ठभूमि ब्रह्म फा अस्तित्व : वैज्ञानिक दृष्टि से-दार्शनिक दृष्टि से मनुष्य का बह, उसको बुद्धि, उसका मन, उसके प्राण और उसका शरीर सच मिलकर एक सुव्यवरिित मानव-संगठन का निर्माण करने हैं। ऐसे संगठन इस ब्रह्माण्ड में अनेक हैं । निल्चिल ग्रह्माष्ड स्वतः ऐता हो एक यूहत्‌ संगठन है । हमारा घरोर जैसे नितांत स्थूल परमाणुओ का संप्रात है बैसे ही ब्रह्माण्ड के पृथ्वी आदि लोक भी हैं । शरीर को हो भौति ब्रह्माण्ड में प्राणशक्ति संचरित हो रही है । हमारा सूद मन ग्रह्माण्ड का सूदम थाकाश है। हमारी बुद्धि ब्रह्माण्ड का चौलोक है । भानव संगठन के समस्त अवयवो का प्रेरक जोवात्मा है । उसो तरह निललिल ब्रह्माण्ड के भवयर्यो का प्रेरक एक परम आत्म तत्व होना हो चाहिए । जैसे मानवो शरोर रूपी संगठन को देखकर उसके रचयता का भान होता दै वैते ही इस बह्ाण्ड के संगठन को देखकर | रचयिता की रचना शक्ति में प्रकाशात्मिका बुद्धि निहित रहती है. उसी बुद्धि का विज्ञाल रूप ब्रह्माण्ड रचयिता के भोतर होना चाहिए ^ आधुनिक विज्ञान ने ब्रह्माण्ड के संबंध में जो अनुसंधान प्रस्तुत किये हैं वे उस परम तत्व की विराट वृद्धि पर पर्याप्त प्रकाश डालते है। सृष्टि निर्माण को योजना और 3... 16 जर016 ब्रा1४ ज़01४ 0०6 १३व7७ 90392415 ए 20 10091115201 ৪৮১০০ बुआ 1068 ० 500' 9, 15 0 19816 ०159०. € 1469 ज 2 10001501521 णव छ 1,080$ ज०व० 96 6९ 019051615 100975006 मिप 00৩. 05550051819 01 56161105 10607, 91 12251 11 18 20 2912202) फ 10? {06 पिकणा6 ग प्रह एत्व ०716 7. 338 58) ५५1१९10०.




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