भातूलियो | Bhatooliyo
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
80
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मांह बड़तांई साहजी पूछयो' के, “आपरे कार खड़ी करण মাফ गैरेज
कोनी कांई ?”
छोटियो सकपकायो । पण सम्हक्क'र बोल्यो' कै, “अरब तांई तो कार
ही कोनी ही जद मैरेज को कांई करता । अबके कार ক্যান হী सला भी
है अर गैरेज वणावण री भी 1/
“वण बणास््यों कठे ! मकान मांय तो जाग्यां ही कोनी दीसे ।/
আনা শীষ पूछयो।
ओ तुड़ी आछो कोठो तोड़र बणावांला।” छोटिम फेर पलटो
खायो ।
कमरे माय वैट्या' कं चाय नास्ता री सजावट मेज पर हौवण
लागमी 1 देख र साहजी बोत्या, “पैलां ठावर देखस्या, चाय फेर
पीवाला 1
“टाबर तो दिखावणों ही हे, पैली कीं सुसता व्यो, चाय-पाणौ
पील्यो, इत्ती के जल्दी है ?” बिचोटियो बात में सारो लगावण खातर
बोल्यो ।
“जल्दी तो कीं कोनी, पण जि काम आया हां; वो पैले, थी
म्हारो दस्तूर है ।” साहजी आपरी बात ऊँची राखी ।
“छोरी म्हारी सूओ बरगी है, अभी दिखा देवां |” छोटियो, विचोटिये
ने बठेई बिठा'र माय गयो ।
सारे घर रा गैणा पैरा'र लद॒-पद करयोड़ी सुमनड़ी ने बारले कमरे
तांई ल्यार खडी कर दी। छोरी को पड्चोड़ी ही, होवण भाषो सुसरो
জাম पां धोक खाई । पण साहजी रे दिमाग तो कार र॑ गैरेज स्यूँ
सेठां रो सटंडड़ं घूमें हो। चाय रो आधो सो कप लियो अर बो'ई की
বনী सो कर'र छोड़ दियो । मिठायां ने हाथ ही नी लगायो। ही ज्यू
री ज्यू पड़ी रहि।
छोटियो मायली बात ताड़स्यो । बोल्यो, 'थांने साहजी, म्हारो कार
क्र गैरेज स्थू कांई लेगो-देणो है ? बायली म्हारी सूरज बरगी है। दस
तांई पढ़ियोड़ी है। घिलाई, कढाई अर बुणाई माय चतर है। तीन बड़ा
परयावो / 15
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