पंडितराज जगन्नाथ - खंड 3 | Panditraj Jagannath -Khand-iii

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Panditraj Jagannath -Khand-iii by आर० वी० आठवले - R. V. Aathwale

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१२) विषय पृष्ठ | विषय रषु प्रीढोक्ति अस्कार *ছ০) वादाय धोरण व त्याची हल्तिककार व त्यावर जगनापरायाबर झाहेली शाख्रीय चचा ४६१ ते ४६३| प्रतिक्रिया ४७७, ४७८ प्रहेण अछकार ४६२, ४६४ उपसदार ४८० िषादन अलकार व स्याची परिदिष्ट १७ ४८१तै४९० विमां लना ४६४ | शन्दवोषान्या स्यरूपाची उल्लास अल्कार ५६४। वयां वशा अल्कार ४६५] अंगुश अल्कार ४६५ | परिशिष्ट २२) ४९! ते ५०० तिरर लकार्‌ घ त्याची विदिचद्रगाणि) कवा शालय चचौ = ४६५) ४६६ | चारसवती व मीलकड लेश अल्कार ४६७, दीपित याची तुलनात्मक तद्गुण अलकर घ त्याची | अल्प चपि, জগত অভন্কাযাহা ঘ জযানাঘা*্যা छादित्याचा तुलना ४६७, ४६८ 1. उत्तरकालीन प्रथकारावर्‌ अतदूगुण अल्कार ४६८। _ पहरेडा प्रमा मरि ध छामन्वि अक्र परिशिष्ट ३ रे ५०१ ते ५०३ यृ प्यास्या अनुपगानें । ममोरमाङुचमएन या एटि उन्मीरित ये विशेषकर या मयाच्‌ ठ मधुयदन- दौतितोनी कॉल्लेश्या दोन হালী। जोशी योनी বউ৯ उद्यसे ভাতা ४६९९ परीक्षण उत्तर अल्कार, त्याच्या परिरिष्ट ४ थे. ५०४वै ९१९ ्णायी चाध्ीय चर्चा [০ ইমান নি ५५० ते ४३२ | 'पिशि्ट ५ थे... ५९१३ ते ५१९ উমানীবেনা ৬৩২ | यो पर्यांत उालिगित कष्य रसगगाषर थे रसरैगाघरकार ঘ তি) অগাধ খা यास्या पैशिश्पाची य गन नत दता शुगदोभ॑या चना ৪৩২ উ ৪৩৩) (২ আলা হও) प्रषानप्स्याय्‌ अकारं पतिर ९ ६४० ते ५४५ रूपॉतर करण्वायें अल्कार- যতি




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