भारत का संगीत सिध्दान्त | Bharat Ka Sangeet Siddhant
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
382
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विस्तृत विषय-सूची
भूमिका শপ
प्रावकथन
अनुसन्धान की प्रेरणा--अनुसन्धान-सग्बन्धी समस्याएँ और निष्कर्प
-आचीन सल्भीतश्षास्त्र की दु्बोधविता और उसके कारण--प्रचलित
सज्भजीत-पद्धतियो में रस-भाव के प्रति उदासीनता--अनुसन्धान' के
आधार--प्राचीन सम्प्रदाय--भरत-सम्प्रदाय की नाट्य-शास्त्रगत विशे-
पताएँ---उपलब्ध नाट्यशास्त्र---भरत एवं आदि भरत--आदि नाट्य-
शास्त्र--भरत-सिद्धान्तो पर विदेशी प्रभाव [--मह॒षि भरत के स्वर
ओर आधुनिक भौतिक विज्ञान--ग्रन्थ कौ शैली--कतज्नता-जल्ञापन । -२१-५८-
प्रथम अध्याय
आप्त वाक्यो को हृदयज्भम करने के लिए विशेष दृप्टि--विद्या का
अधिकारी--प्राम, स्वर, श्रुति--मण्डल-प्रस्तारों में पड़जग्राम एवं
मध्यमग्राम--नवतन््त्री पर षाड्जग्रामिक स्वरो की सिद्धि, नवतन््त्री पर
भरतोवतत स्वर-व्यवस्था--मध्यमग्राम--सितार पर षाडजग्रामिक सप्तक
की सिद्धि--श्रुतिनिदर्शन या श्रुतिदर्शन-विधान--भरतोवत चतु: सार-
णाएँ--लेखकनिर्मित यन्त्र श्रुतिदर्पण! पर चतु सारणाओ की सरलूतम
विधि--श्रुतियो के परिमाण--सप्तक में श्रुतियों का क्रम एवं उसकी
महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ--श्रुतियों के विभिन्न परिमाणों के भेद में अन्तर
जानने की भारतीय विधि । “(०३ ३े-
द्वितीय अध्याय
मूच्छेवा की व्युत्पत्ति एवं छक्षण--मूच्छेना की चतुविधता के सम्बन्ध
में दो दृष्टिकोण---ग्रामद्रय की मूच्छंनाओ का रूप--आ्रामहय-मूच्छेता-
बोधक श्रूतिपरिमाणयुबत मष्डल-प्रस्तार--ग्रामदय-वोधक सारणी-
ताने--दोनो ग्रामो में अविकोपी स्वर--मूच्छेनाओ का प्रयोजन, पूर्वा-
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