अर्थमितीय निदर्श | Arthmitiya Nidarsh

Arthmitiya Nidarsh by एच. एस. अग्रवाल - H. S. Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2 एक-क्षेत्रीय विकास লিভ্ডাঁ (0776 50401 0:0%11) 71090015) ~ লাশ শা লী লি লী লী লিটা লট एक अध्याय मे हम कुछ एक-क्षेत्रीय विकास निदर्शों का अध्ययन करेंगे। ये निर्श आर्थिक विकास के भिद्धान्तो की विवेषणा करते है। कीन्स का अर्थशास्त्र इन निदर्शों के प्रतिपादन में अत्यधिक सहायक सिद्ध हुआ है। कीन्स बी गुणक तथा त्वरक की सकल्पना को आधुनिक आर्थिक विकास निदशों की आधारशिला माना जाता है। हैरॉड-डोमर के सरल विकास निदर्श 1577016 চ290-790হ227 0০৮1) ৯19৫615) दो प्रसिद्ध गणितीय अर्थशास्त्री हैरॉंड एव डोगर ने, अर्थ व्यवस्था में निर्यामत एव स्थायी विकास हेतु कुछ शर्तों को ज्ञात किया। ये दोनी अर्थशास्त्री स्थायी विकास के गणितीय निदर्शों की सहायता से शुद्ध गष्ट्रीय आय-वृद्धि की देसी दए की खोज कसे हेत प्रयत्लशील थे जो कि एक प्रावैगिक अर्थव्यवस्था को प्रति वर्ष सन्तुलर के मार्ग पर बनाये एखने के लिए आवश्यक हो। प्रो हैरॉंड ने अपने निदर्श को अपने लेख +:47112550), 07 4)710716 171९072 प्रस्तुत करिया जो 1939 म 6८00107711८ 2०074 (0 1९.) में प्रकाशित हुआ। जबकि प्रो डोमर ने 10% में अपने निदर्श को अपनी पुम्तक 255৫) # 016 77760 रण 6८०100772 (7०७५४ में प्रस्तुत किया। हैरॉड तथा डोमर के समीकरण प्राय समात्र ही है ओर उनके द्वारा समान निष्क प्राप्त होते है। इनके विश्लेषण की मुख्य बातें निम्नलिखित है (1) नियमित विकास के लिए निवेश का दोहग योगदान है। निवेश दवारा आय की प्राप्ति होती है तथा पूँजी के भण्डाए में वृद्धि करके अर्थव्यवम्था की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करता है। (2) उत्पादन क्षमता मे दृषदि के फलप्वरूप जाय -व्यवहार के अनुरूप उत्पादन मे वृद्धि होती है अथवा बेरेज्गारी में वृद्धि होती है। (3) दीर्घकाल में पूर्ण रोजगार प्रदान करने हेतु आय के व्यवहार की दशा निर्धारित की जा सफ़दी है। बेरोजगारी को दूर करने और दीर्घकालीन असन्तुलन से बचाव हेदु आय




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