शिवगीता | Shivgeeta

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Shivgeeta by पं ज्वालाप्रसाद जी मिश्र - Pt. Jwalaprasad Jee Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाषाधीैकाजमत । ( १५) इसी प्रकार ज्ञानवान्‌ आह्मण देवताओंकों दुःखदाताही दे कारण कि. वह कम नहीं करता इस कारण इसके विषय भाया पुत्रा. दिमे प्रवेश करके देवता নিল হব ॥ १९ ॥ ননী ने जायते यक्तिः शिव स्यापि देहिन: । वस्माइविंदर्षा नेव जायते शूरूपाणिवः ই) ' इससे किसी देहघारीकी झशिवमें भक्ति नहीं होती इस कारण मूषको हिवका प्रसाद महीं मिक्ता ४ १३६॥ यथाकथंचितललातापि मध्ये विच्छिद्यते ठणास्‌ ॥ জারী दापि शिवज्ञानं न নিশা भजत्यलूम्‌ १४ और जो यथाकथथित्‌ जानतामी है वह किसी कारण मध्य मेंही खंडित हो जाता है भौर जो किसीको ज्ञाव हुलाभी तो षृ विशरास्तसे महीं मजता ॥ १६॥ লন জন্ুঃ | येवं देवता विजश्नमाचरन्ति तबूभताम्‌ ॥ पौरुषं तत्र कस्यास्ति येन मुक्तिभविष्यति १५॥| ऋषि बोले जब इस प्रकारसे देवता शरीप्थारियोंको নিম্ন एतेः सो फिर इसमे किपका परक्रम है जो मैक्तिको प्राप्त होगा | १५ ॥




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