श्री साधन - संकेत | Shri Sadhan Sanket

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Shri Sadhan Sanket by स्वामी विष्णुतीर्थ - Swami Vishnuteerth

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about स्वामी विष्णुतीर्थ - Swami Vishnuteerth

Add Infomation AboutSwami Vishnuteerth

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
1 १३ 3 स्वच्छुरीरात्मवहरेन्मु जादियेपीडा चैयेंग । पिदा तै विद्रादुुकममृतामिति ध (क्ठोपीपत्‌ ) अर्थे--उम (श्रात्मा) को अपने शरीर से धैये ये साथ अलग फ्र,--मैसे मू जसे मींए अलग री जाती है। उसी को अविनाशी श्रमर जानी। दति । ग्रह कैसे किया जाता है, उसके लिये विधि भी बताते ह-- यब्देशाइमनगी प्राश्लथच्देज्हानयात्मी । शानमाधत्मर्नि मद॒ति नियच्छेत्ततरच्छेच्छान्त झा मति । श्तिष्टौ আসর प्राष्पष बरातिग्रेधत्‌॥ (क्टोपनिपत्‌ ) अथ--युद्धिमान्‌ वाऊ ( पांचों ज्ञानन्द्रियों ) को मन म ले सवि, मन को युद्धि म, वुद्धियो मन्‌ मर और उसको शान्त आत्मा म ले जाव। उठो, लागो और श्रेष्ठ क्ों वा प्राप्न करके उसे जानो । (र) गुरुनऋपा इस योग थी प्राप्ति केसे द्वानी ६? योगशिः्पोपनिषद्‌ म रियजी अश्नाजी से “নে ই. पर्चात्युश्यत्त লন মিলা भद्द सँगतिम्‌ | বন रिद्धस्प कृपया वेगौ मवि नार्या ॥ ५ अर्य-(जम अन्मान्वर के) परचान्‌ पुएय ये भ्रमाव से भिद पै साय स होता है, तथ मिद्ध ग छपा से योगी होता है, काया नही | _




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now