मार्दव | Mardav

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Mardav by जैन पाल - Jain Pal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(११) [ धुभकामना, शगामाचरण जुक्‍ल पूर्ष प्रख्यम्रंप्री निवास वौी-¢ उगाग्रला हिल्स, भोपाल यह जातकर प्रसन्नता हुए कि १००64 भगवाठा थी आकिताल का पंच कल्याणक पाँतिष्ता 0वं गजरथ महोत्सत द्िताकत र मई से 0 मई तक प्रावत्र सलिता चार्तती के वर पर बसे आष्य णर ने (लाते का निर्णय © € गर पर्व आशा है. ऐविहासिंक 0छवं सरणीय बनेगा। इस ज[॥भ् अतरर पर प्रकाशित स्मारिता एक से गद के वतोर सफलता प्राप्त करेगी। पतक 0 सफ़तता के लिए मेरी शुभ कामतराएँ आपके साथ तै। श्यामाचरण शुक्ल पैश नारययाग ग्रकर राज्य मंत्री, परिततता (२५.९८ । 412 पतै आसम अश्यक्ष, 7.५. ससध, किक »|) ২17) ৯ अश्यक्ष च कल्याणक पनिष्या एतम्‌ ०८१२६ महोत्सव, आष्टा, जिला-सौहोर (म.५. । (0৩ এ) ৯7), হাহী অতি जाहाकर ধণ্লেন। (অহা হী £ कि ५००८ श्गतात श्री পারিনা নল হলনা] 11115) एवं गजरथ महोत्सव के पराका अवसर पर स्मारिका का परकाशहा किया जा रहा है। जैठा ৮01 सपमी सो লিওন ভটী अहिंसा पर्मी लाए: केम सदेश देता रहा हैं जो गात्रवता क्री रक्षा के लिए आतश्यक 1), स्मारिका लैल शर्म के आवदर्शों को जता-जत्र वक पहुँचाने के लिए माश्यम कहो यही कामगा करता ৫1 आदर सहित, प्रेम नारायण ठाकुर




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