अमृत लाल नागर के उपन्यासों का शिल्प विधान | Amrit Lal Nagar Ke Upanyason Ka Shilp Vidhan
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
53 MB
कुल पष्ठ :
271
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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एक शताब्दी से भी अधिक समय से भारतीय साहित्याकाश को तारक मंडल के
समान समावृत किए हुए उपन्यास साहित्य के प्रथम नक्षत्र का जन्म हुआ? यह आज भी र
विद्वानों के विचार का विषय बना हुआ है। साथ हीं. साथ गद्य काव्य की इस विधा का
उपन्यास नामकरण क्यों किया गया? यह विचार का विषय है। इन सभी विचारणीय
बिन्दुओं से पूर्व उपन्या न्यास शब्द के अर्थ के विषय मेँ विभिन्न विद्वानों के मत-मतान्तरं
का अन्वीक्षण आवश्यक है -
उपन्यास शब्द की व्युत्पत्ति
उपन्यास शब्द उप ओर नि इय,पसर्ग सहित असु क्षेपणे धातु म॑ घञ् प्रत्यय `
के योग से सम्पन्न हुआ उप' उपसर्ग का अर्थ होता है ~ समीप ओर निः
उपसर्ग सहित असु धातु के दो अर्थं है रखना तथा जोडना। प्राचीन भारतीय ग्रन्थों मे
न्यास शब्द का प्रयोग इन दो अर्थो के साथ - साथ अम्य अर्थो में भी हुआ है।
महाकवि कालिदास ने न्यास शब्द का प्रयोग ˆ रखना ` अर्थ में किया है -
तस्याः सुरन्यास पवित्र पांसु
मया सुलानाम धुरि कीर्तनीया।
रघुवरा महाकाव्य कं इस श्लोकांश में सुरन्यास शब्द का स्पष्ट अर्थ सुरोंका
रखना ही हे। याज्ञवल्क्य स्मृति में न्यास शब्द का प्रयोग रखना तथा छोडना” के `
(- “६987 आह व्या ~ छि
2 याजवृल्क्य स्मृति (व्यवहार अध्याय) सप्तम प्रकरण श्लोक सं 105 अभिवर्ण्यं न्यसेत पिंड.
हस्तयोरन्मयोरपि |
3 ह प्रायश्चित्त अध्याय) चतुर्थ प्रकरण श्लोक सं 204 अध्वाप्यसन् वेदन्यस्त कर्मा वने
वसेत् |
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