टेलीविज़न के सामाजिक प्रभाव - एक अध्ययन | Telivijan Ke Samajik Prabhav - Ek Adayayan

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Telivijan Ke Samajik Prabhav - Ek Adayayan by आनन्द पहारिया - Aanand Pahariya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रहे है। इनमें युवाओं की दिलचस्पी और रूझान साफ तौर पर देखा जा सकता है। नई पीढ़ी के पास समय कम होने के बावजूद इन केबल चैनलों का भरपूर स्वाद ले रही है। मनोरंजन के साथ-साथ विभिन्‍न खेल-चैनल भी बिना रूके 24 घण्टे खेलों का सीधा प्रसारण कर रहे हैं। स्टार स्पोटर्स, ई एस.पी.एन. टेन स्पोटर्स, प्रमुख खेल चैनल हैं। डिस्कवरी और नेशनल ज्योग्राफी चैनल विश्व के प्राकृतिक रहस्यों से पर्दा हटाकर रोचक ढंग से प्रसारित करते हैं। इससे बच्चों में सामान्य ज्ञान का विकास हुआ है। झाँसी में सरकारी टेलीविजन की उपयोगिता एवं केबल टेलीविजन की लोकप्रियता ने किन-किन समस्याओं को जन्म दिया है? बच्चे, युवा, महिलाएँ, वृद्ध अन्य जन इन सबसे किस प्रकार प्रभावित हो रहे हैं? पाश्चात्य संस्कृति के आने से यहाँ का वातावरण किस प्रकार बदल गया है? टेलीविजन के माध्यम से आया समाज में खुलापन हमें कहाँ ले जाएगा। धर्म, योग, समाज किस दिशा में जाएँगें? इन सब के प्रति लोगों का क्‍या दायित्व रहेगा। इन सबका विस्तृत विवेचन कर समस्या के स्वरूप को समझाया जाएगा। यहाँ दिखाए जाने वाले केबल चैनलों ने रोजमर्रा की जिंदगी में किस प्रकार परिवर्तन ला दिया है? यह भी समझाने का प्रयत्न किया गया है | अध्ययन की सीमाएँ : इस शोधग्रंथ के प्रारंभ में शोध के उद्देश्य, शोध की आवश्यकता और इसके महत्व को रेखांकित किया गया है, तत्पश्चात शोध के स्वरुप तथा अध्ययन की सीमाओं के बारे में बतलाया गया है, अध्ययन की सीमाओं को 8 भागों में विभाजित किया गया है। शोध ग्रंथ के प्रथम अध्याय में बुंदेलखण्ड की शान झाँसी का ऐतिहासिक परिदृश्य, भौगोलिक परिदृश्य, सामाजिक परिदृश्य, आर्थिक परिदृश्य को समझाया गया है। अध्याय द्वितीय में 'जनसंचार माध्यम एवं संचार क्रांति' के द्वारा संचार व्यवस्था, प्रिंटिंग प्रेस, समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट, सैटेलाइट, डीटीएच का संक्षिप्त इतिहास एकल करने का प्रयास किया गया है|




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