भारतीय आत्मत्याग | Bharatiya Atmatyag

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : भारतीय आत्मत्याग  - Bharatiya Atmatyag

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about देवराज भाटी - Devraj Bhaati

Add Infomation AboutDevraj Bhaati

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सयमराय ११ पडी--जिससे उसके मुख पर मुख़करादट मखबकने लगी । झसने एक दूटो तलवार जो पस्स हो पड़ी थो उठा ली और अपने शरोर से मास वाट का कर यदह चील कोच को खिलाने लगा जिभसे बे पृथ्वीराज की देह को न छेडें। थो> देर मेँ पृषथ्पीराज पी सूर्दा भग हुई घोर सयमराय को ऐसा करते देख चद मन टौ मन उसक्री सपदना करने लगे । परन्तु उनके शरीर मेँ इतने घाथ झाये थे कि उनका शरीए निर्जीय माही शहा धा। वद दुत देर तक झपने स्पामिमक्त सेयक शै सधा मदेपसके सौर फिर सूछित हो कर गिर पडे । इनमें मेँ कयि चदु ল্য হীলিকী सहित श्रपने स्वामी को ग्शोज्ञो हुए घदाँ शा पुँचे गौर सपमराय को ऐसा करते देश मुक्तफड से उसकी घशसा करने सगे । परन्तु सयमराय अपने शरीर का सप मांस পিসী निलाचुषाथा। कयि चद्‌ सा छम्य यैयौ के सय धरयदा व्यर्थं धे | उसे कुछ भो खेत नहीं था। घर घदह मांस काट कर चीलोँ फे फेवने की घुनि में मस्त था । श्त षो घट अपने स्पामो के प्राण बचा वर स्पर्ग फो चल पसा और झपनी चतु कीतिंसे पृ्यी को घघलित कर गया। उसने पृथ्वीराज की तथा হালি चन्द आदिकोँशी शासा पर वुछध भी ध्यान नहीं दिया। किसीते देखने सुनने और कदने से कया ? आत्मत्यागी लोग झिसीऊओ दिपलाने के लिए माटक नहीं रचा करते हैं) इस प्रशार आपस में लड॒ दर दोताँ शोर बे घोर पुरप अपने भापयोँ को दो मार 'र सुद से मारे गये / इस युद्ध से पृष्यीराज्ष की शक्ति खोजलो पड़ गयी थी। इसोलिए ज्ञव




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now