जाति निर्णय | Jati Nirnay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
62 MB
कुल पष्ठ :
448
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११ |
इसके प्रमाण सुनाए गए हैं । इखके पश्चात् श्रनुलोम, विवाह विस्तारं
से उदाहरण इतिहास प्रमाणों सहित वर्णन करते हुए परस्पर स्पर्शा-
स्पर्श ( छूआ छूत ) और सहमभोजिता का वर्णन कह सुनाया है|
इसमे सन्देह नी करि इस निणय के ऊपर हम लोगों को बहुत ध्यान
देना चाहिए | यह भूरिमूरि प्रमाणों और युक्तियों से अलंकृत है सप्तम
प्रश्न के समाधान के साथ यह यह समाप्त होता है |
पञ्चम परिशिष्ट प्रकरण पष्ठ ३६७ सेश्रन्त तक है। यह केसा
रोचक € सखो हम खच स्वयं श्रनुभव करते हैं। इसके श्रवण से निखिल
सन्देह दुर हो गए । आपने बृइदारण्यक बज़सूची आदि अनेक अन्थों
के प्रमाण दे हम लोगों को गुण-कर्म्मनुसार वर्णव्यवस्था के मानने
में सुदृढ़ और पूर्णा विश्वासी कर दिया है। अबसे हम सब इसी के
श्रनुसार वर्ण मानेंगे और इसके प्रचार के लिए भी पूरण प्रयत्न करेंगे ।
हम लोगोंने दत्तचित्त से श्रवण किया और प्रत्येक গ্সথ জিন্তা ই গ্সস पर
विद्यमान है इसके प्रमाण के लिये आपकी आजा पा किश्वन् मात्र
निवेदन किया है। एवमस्तु। श्रन्त में एक यह शह्ला होती है उसे
भी कृपा कर दूर कीजिए पृष्ठ ठठः में “ज्षेत्रस्य पतिना वयम्? इस
मन्त्र पर आपने कहा है कि वामदेव ऋषि कहते हैं सो केसे १ क्योकि
यह वेदमन्त्र है। वामदेव कैसे कहेंगे !। समाधान सुनिए, “अग्निमीडे
पुरोहितम् यैर अग्नि ( ईश्वर ) की स्तुति करता हूँ। यह इसका সখ
है। में कौन ? यह प्रश्न होता है! जो प्रार्थना करे वही यहाँ “मैं”
है | अब यदि यह कहा जाय कि में शिवशझ्लर ईश्वर की स्तुति करता
हूँ तो क्या कोई क्षति होगी ! नहीं। पुनः “खद्खच्छध्वं सम्बदध्वम्
सब कोई साथ मिल सब परस्पर सम्ब्राद करो, यह इखका कदने बाला
ईश्वर है। इसमे सन्देह नहीं, परन्तु इस मन्त्र के तत्त्व नने वले
ऋषि श्रव सनुष्यों को उपदेश देते हैं कि मनुष्यी | साथ मिलो साथ
साथ सम्बाद करो। यहाँ पर यदि यह कहा जाय कि वामढेव ऋषि
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