प्रसाद की रचनाओं में संस्करणगत परिवर्तनों का अध्ययन | Prasad Ki Rachnayei Mai Sanskarangat Pariwartan Ka Adhayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1९४ | খাত कलै मैं नाटफ्कार मै हपत बात का ध्यान एखा कि हूटनी न पाये । ङ्ह स्थ किर द्र अनध জা ` क्वाया ˆ का प्रथम पंस्करण पत १६६२ दै प्रफारिते इ निया हैं « तानपैम, चदा, त्रास, एश बीम मदने पृण दिनी | क्या का ्द्िततीय पंस्करण,+ नक ঘন কতো ক উস ঘা निम्नलिखित कि ^ प्रठाद षी की न बहीबाली (हिंदी की जौप चिकाप्त বে) জালন্নদ লালা প্র লিশ্ছিল অলী हिद का प्रभाव बाद में दूर हौ जाता है ।




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