गोपाल कृष्ण गोखले | Gopal Krishn Gokhale

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Gopal Krishn Gokhale  by नारायण रामचन्द्र गुंठे - Narayan Ramchandra Gunthe

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ६ ) अत्यंत परिश्रमी, विनवशील और अध्यवसायी विद्यार्थी था । उसके साथी उसे रद्द कहा करते थे । गोपाल को पाञ्च पुस्तकों के अध्याय के अध्याय कंठसथ रहा करते थे । बके की “फ्रांस की राज्य- क्रान्ति,” मिल्टन की “पेरैडायिज लास्ट” और स्काट की “राकबे” उसे बरज़बान याद थी । इसका फल यह हुआ छि अंग्र जी भाषा पर उसका पूरा अधिकार होगया। गोपाल कुछ दिन तक पूना के डेकन कालेज मे पटृता रहा ओर किर बी० ए० की उपाधि के लिए बंबई के एलकिंस्टन कालेज में मरती हुआ । यहाँ प्रोझेसर हाथनवेट के पास अध्ययन कर उसने गणित में विशेष घोग्यता प्राप्रकी । गोपाल ने बी० ए० की परीक्षा छितीयम श्र णी में पास की । उसे अब हर महोने २०) वज़ोफा भी मिलता था। इससे उसके बड़े भाई गाविन्दराव का आर्थिक भार भी कुछ कम हुआ। इस समय गोपाल की अवस्था १९ वषं कौ थी । बी० ए० हो जाने पर अन्य विद्याथियों के समान गोपालराव के हृदय में भी महत्वाकांक्षा लहराने लगी । उनका विचार इंजिनियरिंग अथवा सिविल सविस की परोक्षा देने का धा परन्तु




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