महाजनी गणित | Mahajani Ganita
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
428
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हे उदाहरणार्य यहाँ यह बता देना अनुचित न होगा कि हमने खधी किस्त
(्राणाए) के तथा हानि-लाभ के कुछ प्रन आगरा फालेज के गणित के अध्यक्ष
' डा० रे के पास भेजे थे । उन्होने अपने एक गणित के छात्र के द्वारा हमें उन प्रइनो
के हल भेजे । पर वे प्रइन उच्चतर बीजगणित के द्वारा हल फिये गये थे जिनको केवल
' बी० ए० तथा एम० ए० के गणित के छात्र ही समझ सकते हे । इन्हीं प्रश्नो को हम
हि महाजनी गणित प्रणाली के द्वारा १२-१३ साल के बच्चो फो सिखा कर उन्हें व्याव-
हे हारिक गणित में पारगत कर देते हूं ।
: ` महाजनी गणित की उत्पत्ति,विकास एवं विस्तार _
५ यह् नििवाद रूप से सिद्ध हो चुका है कि गणित फे मूर सिद्धान्तो
का उत्पत्ति-स्थान भारतवर्ष हो है ( देखिये (21071 तया शात, कौ
॥ 11500 06 11200960020105 ) 1 अंककेवन तथा गणना प्रणाली,
' दशमलव सिद्धान्त तथा- गणित की आधारभूत मुख्य क्रियाएं--जो आज सारे
: सभ्य ससार में फंली हुई हें--हिन्दुओ की देन हे। अरबवालो ने हिन्दुओ
से इन सिद्धान्तों को सीखा और भरव से योरुप आदि देझ्ो में ये सिद्धान्त पहुँचे ।
* बोद्धकालीन भारत में अकगणित के तौन भाग प्रचलित थे--(१) मुद्रा (अंगु-
५ लियों पर गिनने,की पद्धति), (२) गणना (साधारण अकगणित) और (३)
` सख्यानम् (उच्चतर अकगणित) । वाणिज्य-व्यापार क उन्नति के साथ-साथ
है व्यापार एवं देनिक जीवन के लिए उपयोगी अकगणित की भौ उत्पत्ति हुई ।
” गणित सम्बन्धी सस्कृत एवं -प्राकृत में लिखे हुए प्राचीन ग्रन्थों से पता लगता है
* कि गणित की यह् शाखा “पाटी गणित के नाम से प्रचलित हुई 1. अरचवाखो
1! ने मध्ययुग मेः पाटी गणित के सिद्धान्तो को भारत्वास्यो से सीखां 1 इन्होने
/ अरबी भाषा में इसका नाम {ल्म हिसाब-ए-तख्त' रखा । इसका शाब्दिक वही
+ मयं है जो पाटी, गणित -का है | भास्कराचार्य ने लीलावती क़े- प्रारम्भिक
£ प्रकरण, मं धाटी शाब्द ,करा प्रयोग ,किया,है-- पाटी सद्, गणितस्य वच्मि ।'
१ महाननी में सौ सवालों का विभाजन पादियो के नाम-से प्रसिद्ध हे---सोना-
€ तोलकी पाटो) मणा,को पाटी' आदि । महाजनी गणित की उत्यत्ति-भारत
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