महाजनी गणित | Mahajani Ganita

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Mahajani Ganita by बाबूलाल श्रीमाली - Babulal Srimali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हे उदाहरणार्य यहाँ यह बता देना अनुचित न होगा कि हमने खधी किस्त (्राणाए) के तथा हानि-लाभ के कुछ प्रन आगरा फालेज के गणित के अध्यक्ष ' डा० रे के पास भेजे थे । उन्होने अपने एक गणित के छात्र के द्वारा हमें उन प्रइनो के हल भेजे । पर वे प्रइन उच्चतर बीजगणित के द्वारा हल फिये गये थे जिनको केवल ' बी० ए० तथा एम० ए० के गणित के छात्र ही समझ सकते हे । इन्हीं प्रश्नो को हम हि महाजनी गणित प्रणाली के द्वारा १२-१३ साल के बच्चो फो सिखा कर उन्हें व्याव- हे हारिक गणित में पारगत कर देते हूं । : ` महाजनी गणित की उत्पत्ति,विकास एवं विस्तार _ ५ यह्‌ नििवाद रूप से सिद्ध हो चुका है कि गणित फे मूर सिद्धान्तो का उत्पत्ति-स्थान भारतवर्ष हो है ( देखिये (21071 तया शात, कौ ॥ 11500 06 11200960020105 ) 1 अंककेवन तथा गणना प्रणाली, ' दशमलव सिद्धान्त तथा- गणित की आधारभूत मुख्य क्रियाएं--जो आज सारे : सभ्य ससार में फंली हुई हें--हिन्दुओ की देन हे। अरबवालो ने हिन्दुओ से इन सिद्धान्तों को सीखा और भरव से योरुप आदि देझ्ो में ये सिद्धान्त पहुँचे । * बोद्धकालीन भारत में अकगणित के तौन भाग प्रचलित थे--(१) मुद्रा (अंगु- ५ लियों पर गिनने,की पद्धति), (२) गणना (साधारण अकगणित) और (३) ` सख्यानम्‌ (उच्चतर अकगणित) । वाणिज्य-व्यापार क उन्नति के साथ-साथ है व्यापार एवं देनिक जीवन के लिए उपयोगी अकगणित की भौ उत्पत्ति हुई । ” गणित सम्बन्धी सस्कृत एवं -प्राकृत में लिखे हुए प्राचीन ग्रन्थों से पता लगता है * कि गणित की यह्‌ शाखा “पाटी गणित के नाम से प्रचलित हुई 1. अरचवाखो 1! ने मध्ययुग मेः पाटी गणित के सिद्धान्तो को भारत्वास्यो से सीखां 1 इन्होने / अरबी भाषा में इसका नाम {ल्म हिसाब-ए-तख्त' रखा । इसका शाब्दिक वही + मयं है जो पाटी, गणित -का है | भास्कराचार्य ने लीलावती क़े- प्रारम्भिक £ प्रकरण, मं धाटी शाब्द ,करा प्रयोग ,किया,है-- पाटी सद्‌, गणितस्य वच्मि ।' १ महाननी में सौ सवालों का विभाजन पादियो के नाम-से प्रसिद्ध हे---सोना- € तोलकी पाटो) मणा,को पाटी' आदि । महाजनी गणित की उत्यत्ति-भारत १३




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