श्री तीर्थकर पद प्राप्तविधि | Shri Tirthankar Pad Praptvidhi

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Shri Tirthankar Pad Praptvidhi  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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{ १३ 1 ॥ अपे द्वितीय বামন নিশি | ॐ णमोसिद्धाणे यदे दसग पद है इस पकौ बीस माला जप करके पूववत्‌ सिद्के गर्णाकी स्मरण पूर्वक चन्दना कः ॥ ` ॥ दोहा ॥ गुण अनेत निर्मल थया, सहज स्वरुप उछास | अष्ट क्म मल दाय कंरी, भये सिद्ध नमा तास ॥ १ समचतुस्णादि पट संस्थान गहिताय श्री सिद्धायनमः , वर्णादि पञ्च रहिताय श्री ३ मुम्भ्यसुर्गमगन्ध বিনা গাঁ ४ स्सादि पतच्च रसग्हिताय श्री ५ स्पर्शाय्रष्ट रहिताय श्री ६ प्रिकवेद ग्हिताय श्री इस प्रकार सिद्धके ३९ गुणोंके स्मरण के चोद ३१ लोगस्स का काउस्सग करे क्योंकि सिद्धके पन्द्रह ग्रण कहेहे तथा आगे प्रकार से बन्दना करे. जेसे ১




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