पालीवाल जैन जाती का इतिहास | Pallivaal Jain Jati Ka Itihas Ac 6004

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Pallivaal Jain Jati Ka Itihas Ac 6004 by डॉ अनिल कुमार जैन - dr. anil kumar jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लेस्वक की ओर से मेरे हारा पल्लीवाल जन जाति का इतिहास लिखे जाने का यह प्रयास प्रथम नही है। इससे पहले भी इस जाति का इतिहास लिखा जा च॒का है। सन्‌ 1922-23 मे लघु पल्लीवाल इतिहासः सतना (रीवा) से प्रकाशित हुग्ना था। सन्‌ 1963 (वि० सं० 2019) में 'पल्लीवाल जेन इतिहास” (लेखक--श्री दौलत सिह लोढा) का प्रकाशन भरतपुर (राजस्थान) से हुआ था। भरतपुर से प्रकाशित इतिहास काफी विवादास्पद रहा है। इसके सम्बन्ध मेश्री भ्रमर चन्द जी नाहटा लिखते है-- पल्लीवाल जाति के लोग जैन धमं के उवेताम्बर तथा दिगम्बर दोनो सम्प्रदायो को मानने वाले है। भरतपुर के स्वर्गीय नन्‍्दनलाल जी पल्‍लीवाल ने मेरे को पलल्‍लीवाल जाति का इतिहास तैयार करने के लिये बहुत जोर दिया तो मैने अपने निर्देशन में स्‍्व० दौलतसिह लोढा “श्ररविन्द' से पल्नीवाल जाति का इतिहास तेयार करवाया । उसमे उवेताम्बर प्रतिमा लेखो, प्रशस्तियो, ग्रन्थो श्रादि का विज्येष श्राधार लिया गया था । प्रावश्यकता थी दिगम्बर सम्प्रदाय की सामग्री का भी वेसा ही उपयोग करके उस इतिहास की पूति करने की । पर खेद है उसके बाद इसमे कोई प्रगति नही हुई । उस इतिहास से श्र भी कई कमियाँ थी। उसे लिखने मे श्री कजोड़ीलाल !राय' से प्राप्त हस्तलिखित 'श्रार्थना-पुस्तक' का विशेष आधार लिया गया था, लेकिन इस पुरतक को भी कई बातो को छोड दिया गया, अन्यथा यह इतिहास उतना




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