जलते प्रश्न | Jalte Prashan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)केठे के खभ १६.
लक्ष्मण उस दिन जलृस मं गया वा. बोला, 'बूआ, माधो
महात्मा का जलूस निकला या न, उसी मं गया था. '
त्रिलोकी ने कहा, दादा, हमको क्यों नहीं ले गए?
लक्ष्मण ने समझाते हुए जवाब दिया, “आज तो बड़ी भोड़ थो
कल इतवार हैँ, फिर जलूस निकलेगा, तब तु भी चलना.” फिर
कछ देर रुक कर धीरे से कहा, कहीं से दो झंडे मिल जाते तो बड़ा
मज़ा आता.
दूसरे दिन सुबह उठ कर दोनों ने दो झंडे तंयार किए. झंडे:
क्या थे, खपच्चों में कपड़े के टुकड़े लपेटे थे. घर में मां की फटी-
पुरानी धोतियां पड़ी थौ, उन्हें ही फाड़फूड़ कर झंडा बनाया था. फिर:
जब जलृस चला तो उस में शामिल हो गए. आगेआगे चलते थे और
पुरी ताक़त से नारे लगा कर चिल्लाते थे. भहलल्ले के और लड़कों ने
भी देखा कि पटठे बड़ी शान के साथ झंडे लिए आगेआगे जा रहे हें,
तो उनके मुंह में भी पाती भर आया. एक ने उरतेडरते पितासे
उनकी ओर संकेत किया, तो पिता ने लड़के के गाल पर एक अप्पड़:
लगाते हुए कहा, “बदसादा, उत आवारों को इसफे सिबाए कोई और
काम भी है? शरीफ़ लड़के यह सब थोड़े ही करते हं. জা,
अंदर बर.”
कोतवाली के घंटाघर पर झंडा फहराने का प्रोग्राम था, जक्क
जलूस कोतवालो पहुंचा तो देखा वहां पहले से हो पुलिस का जमघट.
है. ओर फिर घंटाघर--अरे बाबा, इतना ऊंचा! वहां झंडा कंसे
लगाया जाएगा? सिपाहियों ने सोढ़ी पहले हो से अलग कर दी थो...
घंटाघर पर ंडा लगाना सचमुच एकं समस्या बन गई थी. ओर फिर
झंडा लगाने वाले के ऊपर आग बरसाने के लिए गोलोबंदृफ़ों से लेस
सेकड़ों सिपाही खड़ें थे. ना, ना, यहां से भागो! ” बड़ेबढ़ों ने लड़कों:
को सलाह दी.
जलूस का लोडर था स्थानोय विश्वविद्यालय का एक छात्र--
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