वैचारिकी | Vaichariki

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Vaichariki by श्री कृपाशंकर शुक्ल - Sri Krapashankar Shukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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হি এ (२) विश्वयुद्ध का सन्देह, चुनावों में सिकुड़ता लोकतन्त्र, भ्रष्टाचार आदि | शीर्षकों से ही स्पष्ट है कि लेखक की सोचने की दशा और दिशा क्या है । इन निबन्धो में न कहीं व्यर्थ की नमनीयता है, न समझौता और न ही निरर्थक बड़बोलापन। संयत तर्क, सुगम दृष्टि और शालीन अभिव्यक्ति । मुझे विश्वास है, शुक्ल जी इस कोटि के और भी निबन्ध लिखेंगे, जिनसे साहित्य का भण्डार समृद्ध होगा ! (डॉ० मत्थ्येद्रनाथ शुक्ल)




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