जैन धर्म का प्राचीन इतिहास भाग 1 | Jain Dhram Ka Prachin Itihas Bhag 1

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Jain Dhram Ka Prachin Itihas Bhag 1  by बलभद्र जैन - Balbadra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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महा राज समुद्रविजय का राज्याभिपेक वसुदेव की कुमार लीलाये अनेक कन्याओ के साथ विवाह रोहिणी की प्राप्ति बलशभद्र बलराम का जन्म कस का जन्म और वसुदेव हारा वचन दान वसुदेव-देवकी का विवाह कृष्ण -जन्म कृष्ण का वाल्य-जीवन कृष्ण द्वारा देवियो का মাল-মহুন गोवर्धन पर्वत उठाने का रहस्य देवकी का पुत्र से मिलन कृष्ण को शस्त्र-विद्या का शिक्षण चाणूर शौरे कस का वध माता-पिता से कृष्ण का मिलन सत्यभामा और रेवती का विवाह यादवो के प्रति जरासन्ध का भ्रभियान भगवान का गभ कल्याणक जन्म कल्याणक यादवो द्वारा शौय॑पुर का परित्याग दारका नगरी का निर्माण रुक्मिणी के साथ कृष्ण का विवाह प्रद्युम्न का जन्म श्रोर श्रपहरण प्रद्युम्न को विजय-लामे प्रद्युम्न कौ दृढं श्रील-निष्ठा भरयुम्न कुमार का माता-पिता से मिलन महाभारत-युदध ३०२--३० ६ कुरुवश राजकुमारो का प्रशिक्षण पाण्डवो का श्रज्ञातवास द्रौपदी-स्वयम्बर पाण्डवो का पुन अज्ञातवास पाण्डव विराट नगर मे पाण्डव द्वारिका मे यादव कुल के प्रति जरासन्ध का कोप हुरुक्षेत्र मे महाभारत-युद्ध माता कुन्ती और कर्ण की भेंट व्यूह रचता युद्ध का भेरी-घोष श्रीकृष्ण द्वारां जरासन्ध का वघ श्रीकृष्ण द्वारा दिग्विजय ३०६--३१ ५ ४ पाण्डवो का निष्कासनं नेभिनाथ का गौर्यं प्रद्य॑न „ । नेमिनाथ के विवाह का श्रायोजन ३१५-- ०२५ भगवान का दीका कल्याणक राजीमती द्वारा दीक्षा भगवान नेमिनाथ का केवलज्ञान कल्याणक भगवान का धर्म विहार भगवान का धर्म परिकर गजकुमार मुनि पर उपसर्ग भगवान की भविष्यवाणी द्रारफ़ा दाह श्रीकृष्ण फा करण निधन मोह्‌ विव्हल वलगाम कौ प्रत्रज्या पाण्टवो की निर्वाण-प्राप्ति भगवान नेमिनाव का निवणि कल्याणक जरत्वुमार्‌ को वण-परम्परा भगवान नेमिनाथ एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व श्रीकृष्ण के गुरु श्रीकृष्ण को विष्णु का अवतार मानने की परिकल्पना भगवान नेमिनाथ से सम्बद्ध नगर भगवान नेमिनाथ की निर्वाण भूमि--गिरनार ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती श्वेताम्बर परम्परा मे ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती हिन्दू परम्परा मे ब्रह्मदत्त कथानकं ३२५- ३२०८ ३२८ ३२८--३३२ ३३२--३ ३८ ३३०८- २४५ षड्विश्तितम परिच्छेदे भगवान पाश्वनाथ पूवं भव प्रथम भव व द्वितीय भव तृतीय भव चौथा भव पाचवाँ भव छटवाँ भव सातवाँ भव आठवाँ भव লীনা মল गर्भ कल्याणक ३४६--३ ६४




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