सुभाष चंद्र बोश | Subhash Chandra Bosh

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मोहिनी गुप्त - Mohini Gupt

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विश्वप्रकाश गुप्त - Vishwaprakash Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इतिहास की दृष्टि 1 मुगल वंश / 1526 में वावर ने दिल्ली के सुलतान इब्राहिम लोदी तथा मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह को पराजित कर भारत में मुगल वंश की नीव डली। सोलहवीं ओर सत्रहवी शत्ादियों में मुगल सम्राटों ने देश में राजनीतिक एकता स्थापित की और प्रशासन, कला तथा साहित्य के त्रो मेँ देश को उन्नति के शिखर तक पहुंचाया। अकवर मुगल राजवंश का सवसे महान सम्राट था।४ अकबर. की सबसे वड़ी देन यह है कि उसने हिन्दुओं के प्रति धार्मिक सहिष्णुता की नीति को अपनाया ओर हिन्दुओं तथा मुसलमानों के वीच सांस्कृतिक समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया। अकवर की राज्य- व्यवस्था हिन्दुओं तथा मुसलमानों दोनों के हार्दिक सहयोग पर आधारित थी।५ मुगलों का अंतिम शक्तिशाली सम्राट्‌ औरंगजेब था। उसकी हिन्दु विरोधी नीति ने मुगल साम्राज्य की जड़ें कमजोर कर दी। उसकी 1707 में मृत्यु हुई तथा उसके बाद मुगल साम्राज्य का क्रमशः परतन होता गया। स्थानीय शासन प्राचीन और मध्यकालीन भारतीय इतिहास में सबसे अधिक ध्यान देने योग्य बात यह है कि यद्यपि देश में राजवंश बदलते रहे, लेकिन इसका देश के स्थानीय शासन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। ब्रिटिश इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास के इस पहलू की उपेक्षा की है। देश के विभिन्‍न उद्योग-धंधों तथा जातियों की अपनी पंचायतें थीं जो गांवों का प्रशासन करने के साथ-साथ जातियो तथा उद्योग- ध्रंधों के बीच अनुशासन बनाए रखती थीं। यद्यपि मुस्लिम शासक पूरी तरह स्वेच्छाचारी और निरंकुश थे लेकिन उन्होने लोगों के स्थानीय जीवन तथा रीति-रिवाजों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया तथा लोग धार्मिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक मामलों में पूरी स्वतंत्रता का उपभोग करते रहे। मराठा शक्ति का उत्थान और पत्तन जिस समय मुगल सत्ता का विघटन हुआ भारत में दो शक्तियां ऐसी थीं जो उसका स्थान ग्रहण कर सकती थीं। इनमें से पहली शक्ति मराठों की थी। मराठा राज की नींव शिवाजी (1627-80) ने डाली थी। उनकी मृत्यु के बाद पेशवाओं ने मराठा राज को वदाया। 1761 मेँ अफगान आक्रमणकारी नादिरशाह ने पानीपत की सीसी लड़ाई में मराठों को पराजित कर उनका विस्तार रोक दिया। 1818 में अंग्रेजों ने मराठा शक्ति को नष्ट कर दिया और प्राय: सभी मराठे क्षेत्र तथा सरदार ईस्ट इंडिया कंपनी की अधीनता में आ गए1 सिख शक्ति सिखों की शक्ति को महाराजा रणजीतसिंह (1780-1839 ) ने मजुबूत किया। उन्होने अपने जीवन में एक सुदृढ़ सेना तथा कुशल प्रशासन की नींव झली। लेकिन




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