राजकीय अर्थशास्त्र | Rajkiya Arthshastra

Rajkiya Arthshastra by तिलक नारायण हजेला - Tilak Narayan hajela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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€ নন) भ्रष्पाध ३--भारत में অহী হী) যাসতহা (00০৮6 ০6 তিহহ০ট62 वत छठ) प्रावक्यन, बेकारी वे! बारण--( १) विद्यास वायं तमकी धीमी प्रगति, (२) भारतीय विद्यविद्यातया से निशतने वाले पिक्षित व्यक्तियों की संख्या मे वृद्धि, (३) उद्योग तथा व्यापार मे मन्दी, (४) व्यक्तिया को गिरती हुई कय-शवित, (४) लागता तथा मूल्यों मं समायोजन का प्रभाव, (६) समुक्तिफुए्ण, (७) छतनी, (5) छाडे उद्योगा वो क्षति, (६) जमीदारी उन्मूतन तया (१०) देश का विभाजन, पि सम्बन्धी वैकारी, म्नौयोगिकक्षैदामवेकारी, दिक्षित वमे म वेरपरी, रोजगार श्रौर प्रथम पच-वर्पीय योजना, रोजगार श्रौर दूमरी योजना 1 पुस्तक-.चौथी आर्यक नियोजन (72০07507510 01513703275) श्रष्याय १--म्राधिक नियोजन कि सिद्धान्त (40092060013 08600202110 91925105) प्रावक्यन, झाथिक नियोजन की विद्येपताएँ, श्राथिक नियोजन वी श्रावश्यवता क्यो? श्राय निमोजन नै दय, झआाधिक नियोजन वे विभिन्‍न रूप--साम्बवादी_तथा प्रजातस्तीय नियोजन 1 प्रष्याप २--प्र्घ विकसित देशी में प्रायिक नियोजन की समस्‍यायें (9:०9[6घ४४ 9£ 50902002920 11920252522 চিত ৫60০৮০107৩৫ 0০22£055) अर्थ विकसित देश का अर्थ, अर्ध विकसित'देशो की विशेषतायें, विकसित तथा श्र्ध विकसित देशा म अन्तर, अध विकसित देशा को उपस्थिति के कारण--सामाजित कारण, रावनंतिक कारण, झाथिक कारण, ক্স विकसित देशा स अरयिर निघोजन की समस्‍यायें, अर्थ प्रिकप्तित्त देशों में निधोजन विधि । গননা ই-সাতিক विवास सम्बन्धो .वित्त व्यवस्या (२/च०९९ 07 36०0. साठ 102ए०109765६) प्राकक्थन, आथिक विकास सम्बन्धी पूंजी के सोत, उनका सपिक्षिक महत्व, भारत म; विक्तासर सम्बन्धी वित्त-ब्यवस्था--पहलो पचवर्पय योजना म वित्तीय.लत, दूमरो योजना मे वित्त प्रवन्ध । अ्रष्पाथ ४---भारत में झआथिक नियोजन का प्रररभ्मिू इतिहास (85 [9 2.1.) भ्रारम्मिक इतिद्म, वम्बदई्‌ योजना, जनता क्च यौजना, गधीवादीः योचला, राष्ट्रीय नियोजन समिति, और युदधोत्तर पू्त्िर्माण समिति, डर १३ २६ ४३




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