चयन | Chayan

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Chayan by डॉ. मजु लता तिवारी - Dr. Maju Lata Tiwari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रमोशन आज अचानक अरुण का प्रमोशन हो जाने के कारण कार्यालय में आपस में कानाफूसी जोरों में हो रही थी । निदेशक कक्ष मे भी मजमा ज़ुरा हुआ था वह लोगों को सफाई दे रहे थे कि मैं क्या करता ऊपर से आदेश थे इस लिए मुझे मजबूरी मैं अरुण का प्रमोशन करना पड़ा। तभी सामने का दरवाजा खुला और अरुण मिठाई के डिब्बे के साथ कमरे मे दाखिल हुआ और कहा- सर आज कम से कम दो मिठाई तो खाइये । क्या जरूरी है हा सर एक मेरे प्रमोशन की दूसरी आपके द्वारा की गयी मेहरवानी की और जो मैंने तुम्हारे ऊपर लगे गम्भीर आरोपों को निरस्त किया उसको भूल गये । यह कैसे हो सकता है आपके शौक क्या हैं। मुझे पत्ता है आज रात होटल में मैंने सारी व्यवस्थाएं कर दी है शावाश नौजवान हो आज की जरूरतों की समझते हो। पर ध्यान रखना बात कहीं खुले नहीं नहीं सर मैं कोई कच्ची गोली नहीं खेला हूँ बड़े बाबू जो वहीं फाइल लिए खड़े थे सोच रहे थे कि उनका प्रमोशन सपना वनकर ही रह जायेगा तभी साहब ने उनसे कहा बडे बाबू आपने सुना कुछ आप भी व्यवस्था में जुट जाइये नहीं तो. ... बड़े बाबू ने अपना मोटा चश्मा उठाया। फाइल लिए अपने कश्न में उदास मन से बैठ गए। काम में मन नहीं लगा साइकिल उठायी और व्यवस्थाओं के बारे में सोचते हुए घर की ओर मुडे ध्यान कहीं और होने के कारण साइकिल खभे से टकरा गयी गम्भीर चोट लगने के कारण वह अस्पताल में भर्ती हो गए और उनका प्रमोशन सपना वनकर रह गया। चयन /3




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