परवार बन्धु | Parwar Bandhu

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Parwar Bandhu by छोटेलाल जैन - Chotelal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० परषार बन्धु । সপ পারাপার ও জা জাত वेश्यां या बेटी । ( लेखक--साहित्यरक्ष प० दरवारोशाल जी स्वायतोज )। पि खुसर में बहुत से मनुष्य ऐसे होते हैं जिन्हें ” पिरोधाभास की सूर्ति कह सकते है कुदडं मोदी भी उन्ही भे से पे जहा पिरे दर्ज के म्खीचूल थे वहां शक पैसा पैदा करना भी हराम समभते थे । बाप की फमाई बेठे बैठे खाना ही इनका काम था आखिर कब तक खाते जे कुछ था धीरे धीरे सब सफाचइ होगया फिर भी दन्दः सन्तोष था सन्तोष का कारण खम्भवतः इनकी दे बेटियां थीं। मोदी जी को यही ते एक सहारा रह गया था जिससे ये निश्चिन्त से रहते थे। मोदी जी को लड़कियों के नाम थे चम्पा ओर पद्मा जिन्हें ये बड़े प्रेम से सम्पियो या पक्षचियां कहा करते थे चम्पा की उमर पंद्रह वष षमी थी ओर पश्चा की उमर ग्यारह । चम्बा वियाह येभ्य थी जवानी के चिन्ह निकलने लगे थे स्त्री सुलभ लज्जा से उसका मुंह समय हरमय पर लाल है।जाता था | यह बांत नहीं है कि मेदी जी इस बात के नहीं जानते ये चतुर मेदी जी पेते ही मौके को ताक में थे और चाहते थे कि इसे केच कर पञ्मा के घियाद तक के दिन निश्तिन्तापूबेक धितायं अन्त में मोदी जी ने वर खोजना शुरू किया। জব ভা मनुष्य इनके यहां बैठने आता ते ये उसे पानी अवश्य पिलाते न मालूम कौनसा अगम्य संकेत पाकर मेदनजी चस्पा के! सजा- कर पानी का छोटा हाथ में देकर भेज देती थी জী भूला भटका चस्पा के विवाह के विषय में बात चीत करता ते मादी जी ऐसी रोमो सर्त পিস পা রিশা बनाकर बात करते जिससे आगन्तुक सममः जाता कि मादीजी प्रयक्ष ते! बदुत करते हैं मगर फ्या करें योग्य चर ही नहीं मित्रता बातों २ में मोदीजी इस बात के भी कलका देते थे कि न घर का मतलब अधिक रुपये देने वाला । कभी २ केई बाली भी घोल देता था मगर उतने से मादी जी की प्यास नहों बुझती थी इसी कारण अभी तक चम्पा क्वाँरी रही | [২] सन्ध्या का समय था मोदी जी मफ्खियां उड़ाते हुए किसी सोच में बैठे थे इतमे में दो आंदमी आये मोदीजी ने इनका स्वागत किया मीर अच्छा किया पानी मगाने के लिये भीतर आवाज दौ ““ सरी चस्पिया पानीताला आजकल चम्पा चौवीसो घंटे वनी उनी रहती है! इसलिये पानी लाने में अधिक देर न लगी चम्पाने पानी खाकर शक्ला आगन्तुको ने चम्पा का देखकर का « क्ष्या यह आपकी पुत्रों है ? ” “जी हाँ यह मेरी ही पुत्री है बहुत स्यानी हाोगई है उमर पंद्रह वषं को है, मोदीजी पक स्वास में सब कह गये । एक आग---अभी तक इसकी शादी नहीं हुई ? मेदी--क्या करें येग्य बर ते| मिलता ही नहीं इसी समय चम्पा भीतर आकर एक जगह छिप गई। ए. आ.--ते अब देरी क्या है झापकेा फेसा र | चाहिये । मो.--भाप मेरी हालत ते जानते हो हैं आज कल व्यापार की क्या दशा है कि अपना पेट ही मुश्किल से चलता है




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